सरकार ने एजुकेशन सिस्टम (Education System) में तेजी से बदलाव लाने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। फोकस बच्चों को हुनरमंद बनाने पर है। अभी तक पढ़ाई प्रैक्टिकल से ज्यादा बुकिश थी। इससे पढ़ने लिखने बाद भी बच्चे नौकरी के लिए मारे-मारे फिरते थे। सरकार का यह भी प्रयास है कि पढ़ाई-लिखाई में भाषा आड़े न आए। यही वजह है कि अपनी भाषा में डॉक्टरी और इंजीनियरिंग जैसे विषयों की पढ़ाई के लिए भी कमर कस ली गई है। कई मेधावी स्टूडेंट्स तो सिर्फ भाषा के चक्कर में वहां तक नहीं पहुंच पाते जहां उन्हें होना चाहिए। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई के रास्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। नई शिक्षा नीति (NEP) को लागू करने की दिशा में देश बढ़ चुका है। सरकार लगातार ऐसे कदम उठा रही है जिससे सभी शिक्षित हो सकें। शिक्षा पाने के रास्ते में बाधाएं न आएं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को पांच साल की बुनियादी शिक्षा की पाठ्यचर्या रूपरेखा के बारे में बताया। इसे उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन में महत्वपूर्ण कदम करार दिया। अगले वर्ष बसंत पंचमी तक इसके आधार पर पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तक लागू करने का खाका तैयार कर लिया जाएगा। प्रधान ने ‘बुनियादी स्तर के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा’ का मसौदा जारी किया। इसे जाने-माने वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली समिति ने तैयार किया है।
स्टूडेंट्स के पास होंगे बेशुमार विकल्प
केंद्रीय कैबिनेट ने जुलाई 2020 में नई शिक्षा नीति (NEP) को मंजूरी दी थी। नई एजुकेशन पॉलिसी में 10+2 बोर्ड स्ट्रक्चर खत्म किया गया है। नया स्कूल स्ट्रक्चर 5+3+3+4 का होगा। इसके तहत 5वीं तक प्री-स्कूल, 6वीं से 8वीं तक मिड स्कूल, 8वीं से 11वीं तक हाई स्कूल और 12वीं के आगे ग्रेजुएशन होगा। प्रत्येक डिग्री 4 साल की होगी। छठी क्लास से ही वोकेशनल कोर्स उपलब्ध होंगे। 8वीं क्लास से स्टूडेंट अपने विषय का चुनाव कर पाएंगे। ग्रेजुएशन कोर्स ‘मेजर’ और ‘माइनर’ में बंटा होगा। मसलन, विज्ञान का कोई स्टूडेंट फिजिक्स को मेजर और संगीत को माइनर विषय के तौर पर चुन पाएगा। सब्जेक्ट चुनने को लेकर फ्लेक्सिबिलिटी होगी।
धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि स्कूली बच्चों के लिए पाठ्यक्रम तैयार करना चुनौतीपूर्ण काम है। कारण है कि यह भविष्योन्मुखी होता है। शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘बुनियादी स्तर के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा तैयार करके हमने भविष्य का सॉफ्टवेयर बनाने का काम किया है।’
प्रधान ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) इस रूपरेखा मसौदे को राज्य शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को पहुंचाएगी। इसके बाद इसे सार्वजनिक मंच पर रखा जाएगा। लोगों के विचार/सुझाव लिए जाएंगे। पूरे मंथन के बाद पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकें तैयार की जाएंगी। अगले वर्ष बसंत पंचमी तक पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तक तैयार करने और उन्हें लागू करने का खाका रखा जा सकेगा। इसमें कई चीजों के लिए पाठ्यपुस्तक तैयार करने की जरूरत नहीं है। ये खेल और प्रोजेक्ट आधारित हैं। कुछ विषयों में पढ़ाई की पद्धति महत्वपूर्ण है। टेक्नोलॉजी से जुड़े युवा, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे को लेकर छोटे-छोटे वीडियो, इनोवेशन बेस्ड गेम, संगीत वगैरह तैयार कर सकते हैं ।किताबी ज्ञान की जगह प्रैक्टल पर जोर
‘बुनियादी स्तर के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा’ के मसौदे में कहा गया है कि बच्चों के शुरुआती आठ वर्ष काफी महत्वपूर्ण होते हैं। ये शारीरिक गतिविधि, संज्ञानात्मक बोध प्रक्रिया और सामाजिक भावनात्मक विषयों के विकास से जुड़े होते हैं। ऐसे में यह रूपरेखा बुनियादी स्तर पर बच्चों के सीखने को महत्व देती है। इसमें बच्चों में जिज्ञासा और तार्किक सोच के विकास के साथ समस्या समाधान, टीमवर्क पर जोर दिया गया है। इसमें खेल आधारित पठन पाठन और कला, शिल्प, संगीत आधारित गतिविधि को महत्व दिया गया है। पाठ्यचर्या रूपरेखा में बच्चों में आचार, व्यवहार और भावनात्मक विकास को महत्वपूर्ण बताया गया है। इसमें प्रकृति को समझने, प्रकृति से सीखें को प्रधानता दी गई है। इसमें रंग, आकार, वर्ण और संख्या के बारे में खेल खेल में रोचक ढंग से बताने का खाका पेश किया गया है।जड़ से बदलाव करने की तैयारी
इसे मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है। इसमें गृह आधाारित 0-3 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे और संस्थागत स्तर पर 3-8 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को रखा गया है। मसौदे के अनुसार, संस्थागत स्तर पर 3-8 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की श्रेणी को दो भागों में बांटा गया है। इसमें 3-6 वर्ष आयु वर्ग के आंगनवाड़ी, बाल वाटिकाओं में पढ़ने वाले बच्चों के लिए शुरुआती बाल्यावस्था शिक्षा कार्यक्रम और 6-8 वर्ष आयु वर्ग की श्रेणी में शुरुआती प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम शामिल है। इसमें शुरुआती स्तर पर घर की भाषा को निर्देश और पढ़ाई का माध्यम बनाने पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही अवलोकन आधारित मूल्यांकन का खाका बनाया गया है। यह भी साफ किया गया है कि अगले शैक्षणिक सत्र से सीबीएसई संबद्ध सभी स्कूलों में ‘बाल वाटिका’होगी।
अपनी भाषा में पढ़ने का रास्ता खोलने लगी है सरकार
हाल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एमबीबीएस हिंदी पाठ्यक्रम पुस्तक का विमोचन किया। इसके जरिये मध्य प्रदेश में डॉक्टरी की पढ़ाई हिंदी में करने का रास्ता खुल गया। कई देशों में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई अपनी मातृभाषा में होती है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी साफ कर दिया है कि वह अगले साल से हिंदी में डॉक्टरी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई का विकल्प देना शुरू कर देगी। इसके लिए पाठ्यपुस्तकों को अनुवाद कराया जा चुका है। पिछले कई सालों से इसके लिए तैयारी हो रही थी।