टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा मकर संक्रांति पर्व ऐसे तो हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन पंचांगों की मानें तो इस बार मकर संक्रांति 2023 (Makar Sankranti) की तिथि में बदलाव हो रहा है. पटना के राम जानकी मंदिर के महंत रामसुंदर शरण बताते हैं कि मकर संक्रांति मुख्य रूप से सूर्य देव की पूजा का पर्व है. इस दिन सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश कर जाते हैं. इस दिन भगवान सूर्य की पूजा, स्नान-दान का विशेष महत्व है. पंचांग के अनुसार इस बार 14 जनवरी की देर रात 2:53 पर मकर राशि प्रवेश कर रहा है. मकर राशि में ही मकर संक्रांति मनाई जाती है. मकर राशि के प्रवेश के बाद 15 जनवरी सुबह में सूर्य उत्तरायण हो रहा है.
15 जनवरी को ही खरमास खत्म हो जाएगा. प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी की दिन में मकर राशि प्रवेश करती थी और उसी दिन सूर्य उत्तरायण होता था. रामसुंदर शरण ने बताया कि बगैर मकर राशि के प्रवेश किए हुए मकर संक्रांति मनाने, गंगा स्नान, दान, पूजा करने का का कोई महत्व नहीं है.
15 के बाद से शुरू होंगे शुभ कार्य
मकर संक्रांति के बाद लोग शुभ कार्य शुरू कर देते हैं. मकर संक्रांति के एक महीना पहले तक खरमास लगा रहता है जिसमें सभी शुभ कार्य बंद हो जाते हैं. कहा जाता है कि सूर्य उत्तरायण में सभी देवता जागते हैं और छह महीने के बाद आसाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष में सूर्य दक्षिणायन हो जाते हैं इसलिए मकर संक्रांति का दिन पूजा पाठ करने वालों के लिए विशेष दिन माना जाता है.
गंगा या किसी भी नदी में स्नान, कंबल, मिष्ठान, तिल, गुड़ दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि 15 जनवरी को सौर माघ का भी आरंभ हो रहा है जो उस दिन से पूरे माघ महीने में गंगा स्नान के साथ सूर्य एवं विष्णु की पूजा करते हैं उन्हें विशेष करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.