आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। हम आप सुबह तैयार होकर अपने-अपने घरों को रोशन करने की तैयारी में लगे हुए हैं। खुशियों के इस त्योहार पर रोशनी से हम सभी धन की देवी लक्ष्मी और धन-वैभव के राजा कुबेर का स्वागत करते हैं।
हम सभी सुनते आए हैं कि इस संसार में धन से बड़ा कोई मित्र नहीं है। कहने वाले तो यहां तक कहते हैं पैसा भगवान तो नहीं है, मगर भगवान से कम भी नहीं।
आज से करीब 2500 साल पहले मौर्य राजवंश के सम्राट चंद्रगुप्त प्रथम के गुरु चाणक्य ने ‘चाणक्यनीतिदर्पण’ में धन की अहमियत के बारे में कुछ इस तरह से बताया था, जो आज भी सही है।
यस्यार्थस्तस्य मित्राणि यस्यार्थस्तस्य बान्धवाः।
यस्यार्थः स पुमांल्लोके यस्यार्थः स च जीवति।
यानी जिसके पास धन-वैभव होता है, उसी के मित्र भी होते हैं। जो धनवान है उसी के नाते-रिश्तेदार होते हैं। जिसके पास धन है, उसे ही प्रतिष्ठित, पुरुषार्थवान, कर्मठ माना जाता है। धनी व्यक्ति ही जीने का सुख पाता है।
तो आइए त्योहार के इस मौके पर सबसे पहले धन और वैभव के देवता कुबेर से जुड़े मिथकों और दिलचस्प किस्सों के बारे में जान लेते हैं, जिनकी पूजा की जाती है। इसके साथ ही पारस पत्थर की कहानी भी जान लेते हैं, जिससे कुछ लोग आज भी दौलतमंद होने के ख्वाब बुनते हैं। हालांकि, इन किस्सों में कुछ तो हकीकत है और कुछ फसाने हैं।
लक्ष्मी से शादी करने के लिए भगवान विष्णु ने लिया था कर्ज
कुबेर रावण के सौतेले भाई हैं, जिन्हें देवताओं का खजांची कहा जाता है। कुबेर के पास इतना धन है कि उनसे एक बार खुद भगवान विष्णु ने भी कर्ज लिया था, वो भी देवी लक्ष्मी से शादी करने के लिए।
कर्ज लेते समय विष्णु ने कहा था कि कलियुग के अंत तक वह अपना सारा कर्ज ब्याज समेत चुका देंगे। इस कर्ज से भगवान विष्णु के वेंकटेश रूप और देवी लक्ष्मी के अंश पद्मावती ने विवाह किया।
इसी मान्यता की वजह से श्रद्धालु आज भी विष्णु के अवतार तिरुपति बालाजी को बड़ी मात्रा में सोना-चांदी, हीरे-मोती और गहने भेंट करते हैं, ताकि भगवान कर्ज मुक्त हो जाएं।
देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं कुबेर, दीपक के चलते बने लोकपाल
यह बात बेहद कम लोगों को पता होगी, देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर देवता बनने से पहले एक चोर थे। शिव पुराण के अनुसार, कुबेर यज्ञदत्त दीक्षित के बेटे थे, तब उनका नाम गुणनिधि था। हालांकि, अपने नाम के उलट गुणनिधि अवगुणों की खान थे। वह चोरी जैसे कई गलत काम करते। इससे नाराज होकर उन्हें पिता ने घर से निकाल दिया। एक दिन गुणनिधि भूख-प्यास से तड़पते एक मंदिर पहुंचे और प्रसाद चोरी करने लगे। मंदिर में सो रहे पुजारी को इसकी खबर न हो, उन्होंने मंदिर में जलते दीपक के सामने अपना अंगोछा लटका दिया। लेकिन, ऐसा करने पर दीपक बुझ जाता था। वह बार बार दीपक जलाते, और वह बुझ जाता। लेकिन, गुणनिधि की किस्मत खराब थी। प्रसाद चुराकर जैसे ही भागे, कुछ लोगों की इन पर नजर पड़ गई और इन्हें पकड़ लिया। हाथापाई में भूख से बेहाल गुणनिधि की मृत्यु हो गई, लेकिन ये कहानी यहां पर खत्म नहीं हुई।
कुबेर को ब्रह्माजी ने दिया था मन की गति से चलने वाला पुष्पक विमान
भूखे रहकर दीपक जलाने को देख भगवान शंकर ने गुणनिधि को अगले जन्म में धनपति होने का आशीर्वाद दे डाला। साथ ही उन्हें उत्तर दिशा का स्वामी, यानी लोकपाल बना दिया। रामायण के अनुसार कुबेर को उनके पिता मुनि विश्रवा ने रहने के लिए सोने की लंका दी थी। ब्रह्माजी ने कुबेरदेव की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें मन की गति से चलने वाला पुष्पक विमान भी दिया था। अपने पिता के कहने पर कुबेर ने सोने की लंका अपने भाई रावण को दे दी और कैलाश पर्वत पर अलकापुरी बसाई। कहा जाता है कि अलकनंदा नदी यहीं से निकली है।
ये तो रही कुबेर की बात। अब बात करते हैं धन से जुड़े एक और किस्से की, जो कभी मिथकों में रहा तो कभी इतिहास के गहरे अंधेरे में डूबा रहा है। हालांकि, इसे पाने की चाह आज भी कइयों को है।
जनता से टैक्स के रूप में वसूलते थे पुराना लोहा, बना देते थे सोना
पारसमणि यानी ऐसा पत्थर जो लोहे को सोना बना दे। जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था, तो इसमें निकले 14 रत्नों में पारसमणि भी थी। देश में कुछ जगहें ऐसी हैं, जहां आज भी पारसमणि या पारस पत्थर होने की कहानी सुनी जाती है। राजस्थान के एक सदियों पुराने शाहाबाद किले के बारे में कहा जाता है कि यहां की मिट्टी आज भी सोना उगलती है। राजस्थान की एक और रियासत तिमनगढ़ के किले में भी कहा जाता है कि वहां पर पारस पत्थर है।
11वीं सदी के राजा तिमनपाल के पास एक जादुई पत्थर होने की बात कही जाती थी, जो लोहे को सोने में बदल देता था। इन कहानियों में सच्चाई कितनी है, ये तो किसी को नहीं मालूम, मगर इतिहास यह बताता है कि यहां के राजा जनता से टैक्स के रूप में पैसे नहीं, बल्कि पुराना लोहा वसूलते थे, ताकि पारस पत्थर से लोहे को सोने में बदल सकें। इतिहासकार तो यहां तक कहते हैं-मोहम्मद गोरी ने भी तिमनगढ़ के किले पर इसीलिए हमला किया था ताकि सोना बनाने वाले पारस पत्थर को हासिल किया जा सके।
धनतेरस, दिवाली और गोवर्धनपूजा पर होती है कुबेर की साधना
इंसान हर तरह के सुख हासिल करना चाहता है। पंडित रामस्वरूप चतुर्वेदी कहते हैं कि इन सुखों का सीधा संबंध धन प्राप्ति से है। इसीलिए दिवाली और धनतेरस पर कुबेर की पूजा की जाती है। कुछ लोग कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी यानी धनतेरस पर, तो कुछ लोग अमावस्या यानी दिवाली या गोवर्धन के साथ भी कुबेर की पूजा करते हैं। कुबेर को जहां स्थायी धन-दौलत का स्वामी कहा गया है, वहीं लक्ष्मी को गतिमान माना जाता है। तभी कहा जाता है कि पैसा किसी के हाथ नहीं रुकता।
कुबेर के इस इकलौते मंदिर में 1 सिक्का पूजने से बरसती है मां लक्ष्मी की कृपा
ये जानकर हैरानी होगी कि भगवान् शिव के परम भक्त कुबेर का इकलौता मंदिर देवभूमि उत्तराखंड के जागेश्वर महादेव (अल्मोड़ा) में है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर से एक सिक्का अपने साथ घर ले जाता है और नियमित तौर से उसकी पूजा-अर्चना करता है तो उसके घर में लक्ष्मी का वास होता है।
पुराणों, कथाओं की गलियों से होते हुए प्राचीन काल की बात हुई, तो अब जरा मध्यकाल के उस दौर में झांक लेते हैं, जब दिवाली धूमधाम से मनाई जाती थी और इस बहाने ही हिंदुस्तान की अपार दौलत पर राज करने की कामना की जाती थी।
अकबर ने दीपावली को जश्न-ए-चिराग के रूप में मनाने का शुरू किया चलन
इतिहासकार मलिक मोहम्मद ने अपनी किताब ‘द फाउंडेशंस ऑफ द कंपोजिट कल्चर इन इंडिया’ में बताया है कि मुहम्मद बिन तुगलक और बादशाह अकबर ने राजदरबार में दिवाली-होली मनाने का चलन शुरू किया।
मुगल सम्राट अकबर ने दीपावली को जश्न-ए-चिराग की तरह मनाना शुरू किया। मुगल बादशाहों को रोशनी और आतिशबाजी अच्छी लगती थी।
किले में महीनों पहले से जमा हो जाते नामी खानसामे और हलवाई
अकबर के बेटे जहांगीर और उसके बाद शाहजहां ने दीपावली पर तरह-तरह के खानपान को बढ़ावा दिया। शाही किचन में नारियल बर्फी, लड्डू, बताशे, संदेश, पायसम, इमरती और हलवा जैसे व्यंजन जहांगीर खासतौर पर बनवाता। नूरजहां के कहने पर गुलाब और केवड़े की मिठाइयां भी बनतीं।
दिवाली के दिन ही होनी है भारत और ब्रिटेन में बड़ी कारोबारी डील
इस बार दिवाली के दिन ही भारत और ब्रिटेन में फ्री ट्रेड डील होनी है, जिससे माना जा रहा है कि भारत से एक्सपोर्ट होने वाले लेदर, टेक्साटाइल्स, जूलरी के कारोबार को बड़ा बूम मिलेगा। इससे रिजर्व बैंक के बाहर बैठे धन कुबर और ताकतवर बनेंगे।
बॉलीवुड की बात करें तो बड़ी फिल्मों की रिलीज भी दिवाली पर ही होती है। दिवाली फिल्म मेकर्स के लिए दो बड़े मौके होते हैं, क्योंकि इन मौकों पर रिलीज फिल्मों के टिकट हाथोंहाथ बिक जाते हैं। आपको याद होगा जो जीता वो सिकंदर, हम आपके हैं कौन, कभी खुशी कभी गम जैसी पॉपुलर फिल्मों ने कमाई का रिकॉर्ड बनाया था। इस बार भी दिवाली के अगले दिन अक्षय कुमार-जैकलीन फर्नांडीस की ‘रामसेतु’, अजय देवगन-रकुलप्रीत सिंह स्टारर ‘थैंक गॉड’, साउथ की फिल्म ‘सरदार’ समेत कई फिल्में रिलीज हो रही है।