टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
G7 देशों के रूसी क्रूड ऑयल पर लगाए गए प्राइस कैप का भारत ने समर्थन नहीं किया है। जिसके लिए रूस ने भारत को धन्यवाद कहा है। रूस के उप प्रधानमंत्री एलेक्जेंडर नोवाक ने शनिवार को भारत के राजदूत पवन कपूर से मुलाकात की थी।
इसके बाद रूस के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि भारत रूसी क्रूड ऑयल पर लगाए गए प्राइस कैप का समर्थन नहीं करेगा । नोवाक ने यह भी कहा कि रूस जिम्मेदारी से क्राइसिस के दौरान पूरी दुनिया में ऊर्जा के संसाधनों की सप्लाई कर रहा है।
भारत ने बढ़ाया रूसी तेल का आयात
विदेश मंत्रालय के बयान में यह भी जानकारी दी गई है कि 2022 के पहले 8 महीनों में भारत में रूसी तेल का आयात बढ़कर 16.35 मिलियन टन हो गया है।
हम प्राइस कैप को स्वीकार नहीं करेंगे
रूसी समाचार एजेंसी TASS के अनुसार, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा, ‘हम स्थिति का आकलन कर रहे हैं। इस तरह के कैप के लिए कुछ तैयारियां की गई थीं। हम प्राइस कैप को स्वीकार नहीं करेंगे और हम मूल्यांकन खत्म होने के बाद आपको सूचित करेंगे कि किस तरह से इस काम को आगे बढ़ाया जाएगा।’
रूसी ऑयल पर क्यों लगाया प्राइस कैप?
यूक्रेन पर हमले के बाद से ही पश्चिमी देश रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा चुके हैं। अब वो रूस के ऑयल पर प्राइस कैप लगाकर उसकी फाइनेंशियल कंडीशन को कमजोर करना चाहते हैं। रूस को अपने ऑयल के एक्सपोर्ट से बड़े पैमाने पर रेवेन्यू मिलता है।
प्राइस कैप 5 दिसंबर से लागू होगा
रूस के ऑयल पर प्राइस कैप सोमवार (5 दिसंबर) से लागू हो जाएगा। पश्चिमी देशों की सरकारें रूस के तेल निर्यात की कीमत को सीमित करने पर सहमत हुई हैं। हालांकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूसी ऑयल पर लगाए गए प्राइस कैप को कम ही बताया है।
प्राइस कैप का भारत पर क्या असर होगा?इस प्राइस कैप के बाद भारत को नुकसान उठाना पड़ सकता है। भारत का रूस से ऑयल खरीदना अमेरिका को रास नहीं आ रहा है। कुछ दिनों पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसकी आलोचना भी की थी, लेकिन भारत ने रूस से ऑयल का इम्पोर्ट बंद नहीं किया है।