इस साल गुजरात विधानसभा (Gujarat Assembly Election) के चुनाव होने हैं. हर दल अपने समीकरण बिठाने में लगा है. वहां बीजेपी (BJP) 1995 से सत्ता में है. बीजेपी ने इससे पहले 1990 में जनता दल (JANTA DAL) के साथ मिलकर गुजरात में सरकार बनाई थी, लेकिन यह गठबंधन राम मंदिर आंदोलन के नाम पर टूट गया था. बीजेपी ने 1995 के गुजरात विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त वापसी की थी. इसके बाद से गुजरात एकतरह से बीजेपी का अपराजेय किला बना हुआ है. उसे सत्ता से बेदखल करने की कांग्रेस (Congress) की सारी कोशिशें नाकाम हो चुकी हैं. आइए देखते हुए बीजेपी और कांग्रेस के बीच 27 सालों में सत्ता का संघर्ष कैसा रहा है.
गुजरात के चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन
पिछले 27 साल में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव के परिणामों पर नजर डालें तो पाएंगे कि बीजेपी का प्रदर्शन ऊपर-नीचे होते रहा है. इन सालों में वह केवल 2017 में ही दहाई के अंकों में सिमट कर रह गई थी, हालांकि बाद में कुछ उपचुनाव और विधायकों की दलबदल के बाद विधानसभा में अपने सदस्यों की संख्या 100 से ऊपर कर ली. बीजेपी ने 1995 के बाद और 2017 से पहले के चुनाव में तीन अंकों में ही सीटें जीती थीं. इस दौरान उसका सबसे बेहतर प्रदर्शन 2002 के चुनाव में रहा, जब उसने 182 में से 127 सीटों पर अपना झंडा लहराया था. ये चुनाव गुजरात दंगों के ठीक बाद कराए गए थे. गुजरात में फरवरी 2002 में दंगों की शुरूआत हुई थी और चुनाव दिसंबर 2002 में कराए गए थे. इसके बाद 2007 के चुनाव में बीजेपी ने 117 और 2012 के चुनाव में 115 सीटें जीती थीं.वहीं पिछले 27 साल में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन की बात करें तो उसने सबसे अधिक 77 सीटें 2017 के चुनाव में जीती थीं. उससे पहले 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने 61, 2017 के चुनाव में 59, 2002 के चुनाव में 51 और 1998 के चुनाव में 53 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी.
कांग्रेस और बीजेपी का वोट शेयर कितना है
आइए अब बात करते हैं गुजरात के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के वोट शेयर की. बीजेपी ने 1998 के चुनाव में 45 फीसदी और कांग्रेस ने 35 फीसदी वोट हासिल किए थे. बीजेपी को 2002 के चुनाव में कुल हुए मतदान में से आधे यानी की 50 फीसदी वोट मिले थे. इस चुनाव में कांग्रेस का वोट भी बढ़कर 39 फीसदी हो गया था. वहीं 2007 के चुनाव में बीजेपी ने 49 तो कांग्रेस ने 38 फीसदी वोट अपने नाम किए थे. इसी तरह 2012 के चुनाव में बीजेपी पर 48 फीसदी और कांग्रेस पर 39 फीसदी मतदाताओं ने भरोसा जताया था. वहीं 2017 के चुनाव में बीजेपी पर 49 और कांग्रेस पर 41 फीसदी मतदाताओं ने भरोसा जताया था.
गुजरात का 2017 का चुनाव दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी ने भी लड़ा था. लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिली थी. उसने 29 सीटों पर चुनाव लड़कर करीब 30 हजार वोट हासिल किए थे. आप किसी भी सीट पर अपनी जमानत नहीं बचा पाई थी. लेकिन इस बार वह काफी आक्रामक अंदाज में चुनाव की तैयारी कर रही हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक इस बार के मुकाबले को त्रिकोणीय बता रहे हैं.इसे देखते हुए लगता है कि इस बार भी गुजरात में कांग्रेस की राह मुश्किल ही रहने वाली है.
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