टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
गुजरात में विधानसभा की सभी 182 सीटों पर अगामी 1 और 5 दिसंबर को दो चरणों में मतदान होना है. सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है. वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी को मुस्लिम बहुल इलाकों में पार्टी के कमजोरी का डर सता रहा है.
दरअसल एआईएमआईएम के नेताओं ने पार्टी के राज्य और राष्ट्रीय नेतृत्व से राज्य की सभी मुस्लिम बहुल सीटों पर चुनाव नहीं लड़ने का आग्रह किया है. पार्टी के नेताओं का मानना है कि एआईएमआईएम कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में कमजोर है. यदि पार्टी उन्हीं सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारती है तो पार्टी के हारने की संभावनाए बढ़ जाएगी जिससे अन्य दलों को इसका फायदा मिलेगा. इसलिए पार्टी हित में एआईएमआईएम को सीमित सीटों पर ध्यान देना चाहिए.
गोधरा नगर से प्रत्याशि ना उतारने का किया आग्रह
AIMIM के नेता और गोधरा नगर पालिका के पार्षद फैसल सुजैल ने पार्टी के राज्य प्रमुख को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने अनुरोध किया कि गोधरा नगर से पार्टी के उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में ना उतारा जाए. पार्षद ने आगे कहा कि गोधरा नगर में पार्टी के सदस्यों का मानना है जीतने के नगर में जीतने के मौके कम हैं और एक उम्मीदवार को मैदान में उतारने से राजनीतिक विरोधियों को मदद मिल सकती है.
उन्होंने आगे कहा कि पार्टी को 2027 के चुनावों की ओर गौर करना चाहिए. उन चुनावों के लिए पार्टी को और अधिक मजबूती की ओर ध्यान देना चाहिए. यदि इस आग्रह की ओर ध्यान नहीं दिया गया तो गोधरा में पार्टी के विभाजित होने का डर है.
मोहसीन हिंगोरजा ने दी पार्टी छोड़ने की धमकी
AIMIM के स्थानीय नेता मोहसीन हिंगोरजा का पोस्ट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने पार्टी को यह धमकी भरा संदेश दिया है कि अगर पार्टी कच्छ क्षेत्र की मांडवी सीट से उम्मीदवार उतारती है तो वह पार्टी से इस्तीफा दे देंगे. मोहसिन ने कहा- पार्टी के पास भुज में जीतने का मौका है, लेकिन हम मांडवी सीट नहीं जीत सकते. यदि हम किसी उम्मीदवार को नामांकित करते हैं, तो अन्य लोगों को इससे लाभ मिलेगा और यह पार्टी की ओर से एक गलत तस्वीर को पेश करेगा.
पार्टी के प्रवक्ता दानिश कुरैशी ने क्या कहा
मोहसीन हिंगोरजा के इस संदेश पर एआईएमआईएम के प्रवक्ता दानिश कुरैशी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी भी चुनाव से पहले पार्टी के भीतर इस तरह के मतभेद कोई नई बात नहीं है. हालांकि नेताओं के मन में पार्टी के हित में लेकर इस तरह के विचार हैं तो नेताओ को उन विचारों को सार्वजनिक करने के बजाय पार्टी फोरम में बात करनी चाहिए क्योंकि चुनावों में किस सीट से कौन से प्रत्याशि को चुनावी मैदान में उतारना है या नहीं ये पार्टी के आलाकमान तय करते हैं.