टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
पूरी दुनिया आज भारत से ऑर्गेनिक फूड प्रोडक्ट मंगवा रही है. यहां के फल, सब्जी, अनाजों की डिमांड अंतर्राष्ट्रीय बाजार में काफी अधिक है.वहीं देश की एक बड़ी आबादी पर ऑर्गेनिक फूड प्रोडक्ट्स का ही सेवन करती है. जैविक उत्पादों की वैश्विक और घरेलू डिमांड को पूरा करने के लिए सरकार भी जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है.
केमिकल वाली खेती के नुकसानों को समझकर किसान भी आगे से जैविक खेती कर रहे हैं. कई किसानों को जैविक खेती के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती, इसलिए आज के आर्टिकल हम ऑर्गेनिक खेती के लिए किसानों को ट्रेनिंग से लेकर फंडिंग और मार्केटिंग में मदद करने वाली कुछ स्कीम्स के बारे में.देश में ऑर्गेनिक खेती को तेजी से प्रोत्साहन मिल रहा है.आकड़ों की मानें तो साल 2014 तक भारत में सिर्फ 11.83 लाख हेक्टेयर रकबे में जैविक खेती की जाती थी, जो आज साल 2022 में 29.17 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. वैसे तो देश के सभी राज्यों में जैविक खेती का दायरा बढ़ा है, लेकिन सबसे अच्छी ग्रोथ नॉर्थ-ईस्ट स्टेट में देखने को मिली है. अनुमान है कि देश में साल 2024 तक जैविक खेती का रकबा बढ़कर 20 लाख हेक्टेयर और बढ़ सकता है. इसे बढ़ाने के लिए इन पांच योजनाओं का अहम रोल है.
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
किसानों की एकता से ही कृषि क्षेत्र का विकास-विस्तार तेज हो गया है. यही वजह है कि देश में 10,000 एफपीओ बनाने की कवायद की जा रही है. दूसरी तरफ परंपरागत कृषि विकास योजना में भी किसानों के क्लस्टर बनाकर जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया जाता है. इस स्कीम के तहत जैविक खेती करने वाले किसानों को पार्टिसिपेट्री गारंटी सिस्टम सर्टिफिकेशन भी प्रदान किया जाता है. इस स्कीम में सर्टिफिकेशन से लेकर ट्रेनिंग, क्लस्टर निर्माण और जैविक उत्पादों की मार्केटिंग में भी मदद दी जाती है.इस स्कीम के तहत क्लस्टर में शामिल किसानों को तीन साल के लिए 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर और कृषि इनपुट के लिए 31,000 रुपये का अनुदान दिया जाता है.
मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट
भारत के नॉर्थ-ईस्ट रीजन में जैविक खेती का दायरा तेजी से बढ़ रहा है. इस समय विदेशों को निर्यात होने वाले फल और सब्जियों में उत्तर-पूर्वी राज्यों की हिस्सेदारी ज्यादा है. यहां जैविक खेती को और बढ़ावा देने के लिए मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट स्कीम चलाई जा रही है. इस योजना में थर्ड पार्टी सर्टिफाइड जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. जैविक उत्पादों को निर्यात में किसान उत्पादक संगठन अहम रोल अदा करते हैं.
इतना ही नहीं, जैविक खेती पर आने वाले खर्च के लिए किसानों को तीन साल के लिए 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान भी दियाा जाता है. किसान इन पैसों से जैविक खाद, और बायो फर्टिलाइजर खरीद खरीदते हैं. इसी के साथ, ऑर्गेनिक उपज का बिजनेस करने के लिए भी 2 करोड़ तक के लोन का प्रावधान है.
तिलहन और पाम तेल मिशन
इन दिनों भारत में तिलहन का उत्पादन बढ़ाने पर फोकस है. इसके लिए तिलहनी फसलों की खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. केंद्र और राज्य सरकारें अपने स्तर पर किसानों को बीज से लेकर खाद-उर्वरक पर सब्सिडी उपलब्ध करवा रही हैं. इसी बीच तिलहन और पाम तेल मिशन स्कीम के तहत तिलहन और पाम की खेती के लिए राइजोबियम, फॉस्फेट सॉल्यूबलाइजिंग बैक्टीरिया (पीसीबी), जिंक सॉल्यूबलाइजिंग बैक्टीरिया, एजेटोबैक्टर, माइकोराइजा और वर्मी कंपोस्ट जैसे बायो फर्टिलाइजर की खरीद के लिए 300 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से आर्थिक सहायता दी जाती है.
राष्ट्रीय बागवानी मिशन
केंद्र सरकार की राष्ट्रीय बागवानी मिशन स्कीम के तहत फल, सब्जी, जड़ी-बूटी जैसी बागवानी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस योजना के जरिए बागवानी फसलों की जैविक खेती के साथ-साथ वर्मीकंपोस्ट यूनिट लगाने, ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन और आर्थिक मदद भी दी जाती है. यदि किसानों का समूह 50 हेक्टेयर को कवर करके जैविक खेती करते हैं तो 5 लाख तक का लोन भी मिल सकता है. इसके अलावा, वर्मीकंपोस्ट यूनिटे के लिए 50% छूट या अधिकतम 30,000 रुपये का अनुदान दिया जाता है.
जैविक खेती के लिए इन योजनाओं के अलावा कैपिटल इनवेस्टमेंट सब्सिडी स्कीम, नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन, जैविक खेती पर राष्ट्रीय परियोजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, नमामि गंगे मिशन, मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय परियोजना, जैविक खेती नेटवर्क प्रोजेक्ट आदि स्कीम्स भी चलाई जा रही है. अधिक जानकारी के लिए किसान अपने नजदीकी जिले कृषि विभाग में संपर्क कर सकते हैं.