टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
कई पैरेंट्स को लगता है कि बच्चों को लाइफ में सक्सेसफुल बनाने और उनके उज्जवल भविष्य के लिए उन्हें अनुशासन में रखना बहुत आवश्यक होता है और अनुशासन में रखने के लिए पैरेंट्स अक्सर स्ट्रिक्ट पैरेंटिंग को अपनाते हैं। क्या आप भी अपने बच्चे से यही उम्मीद करते हैं कि वो बिना सवाल किए आपके हर आदेश का पालन करे? क्या आपको भी लगता है कि अगर वो आपकी बात सुनता है, तभी वो आपसे प्यार करता है? क्या आपको ये भी लगता है कि जब भी वो आपकी बात मानने से इनकार करता है, तो उसे स्ट्रिक्ट पनिशमेंट देनी चाहिए? अगर आपकी अपने बच्चे से बहुत ज्यादा डिमांड है, तो हो सकता है कि आप अपने बच्चे को फिजिकली और इमोशनली एब्यूज कर रहे हों।साइंस में प्रूव हो चुका है कि जिन बच्चों की काफी सख्त माहौल में परवरिश की जाती है, आगे चलकर उनके आत्म-विश्वास में कमी होती है, दूसरे बच्चों से वो बुली होते हैं और यहां तक कि डिप्रेशन की चपेट में भी आ सकते हैं। कई बच्चे वजन संबंधी समस्याओं और खुद पर कंट्रोल करने को लेकर परेशान रहते हैं। पैरेंट्स का ऐसा करना गलत होता है और आज इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि माता-पिता का अपने बच्चे के साथ हद से ज्यादा सख्त होना, उस पर क्या असर डालता है।
ऑथोरिटेरियन पैरेंट्स के बच्चों में अक्सर आत्मविश्वास में कमी देखी गई है। इनमें बिहेवियर से जुड़ी समस्याएं होती हैं और ये खुद अपनी मर्जी से कोई कदम या फैसला नहीं ले पाते हैं।जिन बच्चों के माता-पिता उनकी आलोचना करते हैं और उनकी भावनाओं को खारिज करते हैं, उनमें अवसाद और चिंता विकसित होने की संभावना अधिक होती है। अगर आप भी अपने बच्चे की भावनाओं, बातों और राय को महत्व नहीं देते हैं, तो शायद आप खुद ही उसे डिप्रेशन की ओर धकेल रहे हैं।
ये बच्चे या तो दूसरे बच्चों को बुली करने की प्रवृत्ति रखते हैं या फिर ये इतने डरपोक और कमि आत्मविश्वासी होते हैं कि दूसरे बच्चे इन्हें बुली करते हैं। ये ज्यादातर बुली करते हैं क्योंकि ये अपने घर पर भी इसी तरह का व्यवहार देखते हैं।
8 से 10 वर्ष की आयु के 600 बच्चों पर किए एक अध्ययन से पता चला है कि स्ट्रिक्ट पैरेंट्स के बच्चों में बिहेवियर संबंधी सबसे अधिक समस्या होती है। वे अधिक उद्दंड व्यवहार, अति सक्रियता, आक्रामकता और असामाजिक व्यवहार प्रदर्शित करते हैं। उन्हें अधिक भावनात्मक समस्याएं भी होती हैं और वे कम प्रो-सोशल व्यवहार दिखाते हैं।
रिसर्च क्या कहती है
जॉर्जिया विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में पाया गया कि जिन बच्चों के माता-पिता सख्त होते हैं, उनके बाहर काम करने या घर से दूर रहने की संभावना अधिक होती है। वे बड़े होने के बाद समस्याओं को सेल्फ-रेगुलेट और हल करने में भी कम सक्षम होते हैं।
जब बच्चे छोटे होते हैं, तो उनके माता-पिता में दिशा-निर्देशों को लागू करने की अधिक क्षमता होती है। जैसे-जैसे बच्चे किशोरावस्था में पहुंचते हैं, उन्होंने अपने व्यवहार को नियंत्रित करना नहीं सीखा होता है। उन्हें किसी भी प्रॉब्लम को हल करने का स्किल नहीं आता है।