टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
डिजिटल रुपी या कहें डिजिटल रुपया देश का भविष्य बनने जा रहा है. फिलहाल यह सरकार की ओर से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया और इसमें आने वाली दिक्कतों को दूर कर इसके प्रयोग का दायरा बढ़ाया जाएगा. डिजिटल रुपया बढ़ती तकनीक के साथ देश और विदेश में भी लेन-देन का माध्यम बन सकता है और इसकी मजबूती भविष्य में अर्थव्यवस्था की दिशा का निर्धारण भी करेगी. अब जब यह लागू होने की दिशा आगे चल चुका है तब लोगों के मन में तमाम तरह के सवाल उठते जा रहे हैं. कई लोग आशंकित हैं कि कहीं यह भविष्य में पूरी तरह से वर्तमान व्यवस्था का विकल्प तो नहीं बन जाएगा. कई लोगों का लग रहा है कि आने वाले समय में एक बार फिर मोदी सरकार नोटबंदी की तरह कोई घोषणा कर दे और काला धन एक बार फिर केवल कागज बनकर तिजोरी की शान बन जाए.
इस बारे में बैंकिंग विशेषज्ञों की राय भी अलग अलग है. हमने इस बारे में बैंकिंग के जानकार एससी सिन्हा से बात की. उनका भी मानना है कि फिलहाल सरकार नोटबंदी की तरह को जल्दबाजी में डिजिटल रूपी को लागू नहीं करने जा रही है. अभी डिजिटल रुपया पायलेट प्रोजेक्ट की तरह चल रहा है. आगे इसे सरकार सोच समझकर इसका दायरा बढ़ाएगी. फिलहाल तो संभव नहीं है. चार-पांच साल बाद यह संभव हो पाएगा. भारत का एक बड़ी आबादी आज भी ग्रामीण इलाकों में रहती है ऐसे में संभावना है कि इसे पूर्ण से लागू कर पुरानी व्यवस्था को बदल दिया जाए ऐसा निकट भविष्य में तो जान नहीं पड़ता है. अभी इस पर काफी काम करने की जरूरत है.