पाम ऑयल यानी ताड़ का तेल कई घरेलू जरूरतों को पूरा करने के काम आता है. भारत में प्रोडक्शन न होने की वजह से तेल इम्पोर्ट करना पड़ता है. विदेशों से आने के कारण महंगे दामों पर पाम ऑयल आम पब्लिक के घर तक पहुंचता है. सेंट्रल गवर्नमेंट, इंडिया को पाम ऑयल के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कवायद कर रही है. इसके लिए पाम ऑयल मिशन शुरू किया गया है. हाल में सेंट्रल गवर्नमेंट ने पाया है कि देश के अलग-अलग स्टेट में करीब 28 लाख हेक्टेयर भूमि ऐसी है, जिसपर पाम ऑयल का प्रोडक्शन किया जा सकता है. इतनी भूमि पर इस फसल के होने से इंडिया पाम आयल प्रोडक्शन में आत्मनिर्भर हो जाएगा. सरकार ने 11000 करोड़ पाम आयल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने का खाका तैयार कर लिया है. आइए जानते हैं पाम इंडिया को लेकर सरकार और क्या कदम उठा रही है.
6865 करोड़ से बनेंगे 10 हजार नए एफपीओ
सेंट्रल गवर्नमेंट की कोशिश ग्रामीण इलाकों में भी पाम ऑयल को लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने की है. अफसरों का मानना है कि देश में काफी संख्या में किसान ऐसे हैं. जिनके पास छोटा रकबा है, लेकिन निवेश के लिए पैसा नहीं है. ऐसे किसानों के लिए ही सरकार मदद उपलब्ध कराएगी. 6865 करोड़ों रुपए की मदद से 10,000 नए एफपीओ बनाए जाएंगे. एसपीओ अपने प्रोडक्ट की प्रोसेसिंग भी कर सकेंगे. इसके लिए सेंट्रल गवर्नमेंट ने बिना गारंटी दो करोड़ लॉन दिए जाने की व्यवस्था की है.
विदेशों से 90 लाख टन पाम आयल मंगाता है India
भारत दुनिया में खाने के तेल (edible oil) का सबसे बड़ा इम्पोर्टर है. वह अपनी सालाना जरूरत का 60 फीसदी तेल विदेशों से मंगाता है. यदि पाम आयल की बात करें तो सालाना 90 लाख टन पाम आयल भारत विदेशों से इम्पोर्ट कर रहा है, यानि विदेशों से मंगा रहा है. इंडियन गवर्नमेंट इसी स्थिति को बदलना चाहती है. इसी कारण किसानों को पाम ऑयल की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.
इंडोनेशिया पहले नंबर पर
नहाने वाले साबुन में भी पाम ऑयल मिलाया जाता है. इसके अलावा खाने वाले तेल और अन्य कई प्रोडक्ट में पाम आयल मिलाया जाता है. फिलहाल दुनियाभर में 9 करोड़ टन के आसपास पाम ऑयल तेल पैदा होता है. पाम तेल उत्पादन में इंडोनेशिया वर्ल्ड में नंबर एक पर है, दूसरे नंबर पर मलेशिया है. कुछ अफ्रीकी देशों में भी इसका उत्पादन होता है.