राजधानी दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में पिछले दिनों प्रदूषण की परत छाई हुई थी। एक स्टडी के अनुसार, प्रदूषण के संपर्क में आने से हार्ट अटैक जैसी दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। खासतौर पर उन लोगों को जिन्हें पहले से ही दिल संबंधी बीमारी है। ये स्टडी अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के जर्नल (JACC) में प्रकाशित हुई है।
स्टडी में कहा गया है कि PM2.5 या इससे भी सूक्ष्म कणों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से हार्ट धमनियां अचानक अस्थायी रूप से ब्लॉक हो जाती हैं। जिससे हार्ट अटैक आ सकता है।
287 हार्ट मरीजों पर की गई स्टडी
ये स्टडी 287 हार्ट मरीज की टेस्ट रिपोर्ट का विश्लेषण करके की गई, जिनकी रोम के एक अस्पताल में कोरोनरी एंजियोग्राफी के बाद फिर से कोरोनरी एंजियोग्राफी की थी। इस एंजियोग्राफी को ये जांचने के लिए किया गया कि कोरोनरी धमनियां या एनओसीएडी हाइपर-रेस्पॉन्सिव हैं या नहीं। इसके लिए एक दवा इंजेक्ट की जाती है।61 फीसदी मरीजों का टेस्ट आया पॉजिटिव
शोधकर्ताओं ने स्टडी के दौरान पाया कि 287 मरीजों में से एनओसीएडी के 176 मरीजों यानी करीब 61 फीसदी का टेस्ट पॉजिटिव आया। स्टडी में यह भी सामने आया कि जिन मरीजों का टेस्ट पॉजिटिव आया वो नेगेटिव मरीजों की तुलना में PM2.5 और PM10 के उच्च स्तर के संपर्क में थे।
दिल्ली जैसे शहरों में खतरा ज्यादा
दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ मोहित गुप्ता ने कहा, हमारी स्टडी में सामने आया है कि वायु प्रदूषण और कोरोनरी वासोमोटर का एक दूसरे से संबंध है। अचानक बढ़ा प्रदूषण कम अवधि में ज्यादा मौतों की वजह बन सकता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे शहरों में जहां पहले से ही प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है, इससे लोगों को हार्ट संबंधी बीमारियां होने का खतरा ज्यादा होता है।