टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
नीतीश कुमार ने यात्रा के बहाने जनता के बीच जाना तय ही कर लिया। जनता के फीडबैक के बात अक्सर नीतीश कुमार चौकाने वाला निर्णय लेते हैं। और ऐसा नीतीश कुमार अपने कई यात्राओं में करते रहे हैं। हालांकि भाजपा उनके इस निर्णय के प्रति आश्वस्त थी। यही वजह भी थी की विगत वर्ष अगर भाजपा की बिहार यात्रा को देखें तो यह परिलक्षित होता है कि उन्हें यह एहसास हो गया था कि बिहार में चुनाव अब जदयू के बिना लड़ना होगा। सूत्र बताते हैं कि आरएसएस की ग्राउंड रिपोर्टिंग यही थी कि एनडीए गंठबंधन बिहार में टूटेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध विपक्षी एकता का बिगुल भी यहीं से फूंका जाएगा। भाजपा को भी यह एहसास तब होने लगा था जब पीएम में नीतीश कुमार अनुपस्थित रहने लगे थे। लेकिन उनकी इस मनःस्थिति का खुलासा तब हुआ जब राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति का चुनाव हो गया। इसके बाद तो दूरी इतनी बढ़ गई कि राष्ट्रपति द्वारा दिए गए भोज से भी नीतीश कुमार ने खुद को दूर रखा।
जेडीयू की वेबफाई से नाराज हुए अमित शाह
दरअसल, शाह के नाराजगी के कारण भी थे ।नीतीश कुमार के नेतृत्व के प्रति अमित शाह को काफी भरोसा भी था। इसलिए किसी की भी सुने बगैर अमित शाह ने नीतीश कुमार को 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को मात्रा 43 सीट आने पर भी मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया। साथ ही यह भी कह डाला कि 2025 का चुनाव भी उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। यही वजह भी है कि शाह ने नीतीश कुमार की चुनौती की स्वीकार कर लिया और हर माह बिहार आने का बड़ा राज्य की जनता से किया। घात इतना गहरा था कि उन्होंने यह भी कह डाला की जरूरत पड़ी दो बार बिहार आयेंगे। और सबसे पहली यात्रा जेपी की जयंती के अवसर पर बिहार आए। तब उनके आगमन को राजद सुप्रीमो के गढ़ में सेंधमारी का प्रयास माना गया।
सीमांचल में आये थे अमित शाह
अमित शाह की दूसरी यात्रा भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद सीमांचल की बनी। उनके इस दौरे को 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी और महागठबंधन से निपटने की तैयारी के रूप में देखा गया।और तब भाजपा का नारा भी था कि ‘आओ चलें भाजपा के साथ, करें बिहार का विकास”। 2019 के लोकसभा चुनाव में इन चार जिलों की चार लोकसभा सीटों में से दो पर जदयू, एक पर कांग्रेस और एक पर भाजपा को जीत मिली थी। सीमांचल के इन चार जिलों में कुल 24 विधानसभा सीटें आती हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में इन 24 में से आठ सीटों पर भाजपा, पांच-पांच सीटें कांग्रेस और एआईएमआईएम, चार सीटें जदयू, एक-एक सीट राजद और सीपीआईएमएल ने जीती थी। एआईएमआईएम के पांच में से चार विधायक अब राजद में आ चुके हैं ।चुकी भाजपा को इस इलाके में पटखनी मिलती रही है। इसलिए अमित शाह इस दौरे से अपने कमजोर पक्ष को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
वैशाली पर चढ़ाई की तैयारी
बिहार को निशाने पर ले चुके अमित शाह अब जल्द ही नालंदा में गर्जना करने वाले है।बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने अमित शाह के दौरे की पुष्टि भी की है। जहां veb बूथ अध्यक्षों kev एक बड़ा कार्यक्रम में नीतीश हराओ का मंत्र देंगे। दरअसल यह नीतीश कुमार को घर में घेरने की तैयारी भी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा की वैशाली यात्रा भी अमित शाह की यात्रा की ही एक कड़ी है। इस कड़ी में बूथ को समृद्ध और शक्तिशाली बनाना है। पहले चरण में लोकसभा के 10सीटों को सुदृढ़ीकरण के लिए लिया गया है। इनमे वैशाली,बगहा,पूर्णिया,किशनगंज,कटिहार,अररिया,नवादा,गया और काराकाट है। इसके बाद फिर अन्य लोकसभा के लिए रणनीति बनेगी। भाजपा के प्रेम रंजन पटेल कहते हैं कि नीतीश कुमार की यात्रा महागंठबंधन के दबाव से मुक्ति की यात्रा है। दरअसल मार्च में उन्हें सत्ता की कुर्सी पर तेजस्वी यादव को बिठाना था। इसको ले कर लगातार दबाव आ रहा था। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगतानंद सिंह ने तो इशारे में दो बार कहा। परंतु वे तो 2025 के पहले कुर्सी छोड़ने वाले हैं नहीं। सो यात्रा पर निकल पड़े।