टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
उत्तर प्रदेश के नोएडा में अब कार्यालयों में कर्मी और अधिकारी जाम छलकाते हुए काम कर सकेंगे। नोएडा की इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी (आईटी) व इंफॉर्मेंशन टेक्नॉलजी एनेबल्ड सर्विसेज (आईटीईएस) कंपनी या आईटी पार्क में अब रेस्तरां के साथ-साथ बार खोलने के लिए भी लाइसेंस मिल सकेगा। अथॉरिटी ने इस कैटिगरी के प्लॉटों में बार खोलने के लिए एनओसी देने के प्रावधान को पिछले दिनों हुई बोर्ड बैठक में मंजूरी दे दी है। इसके चलते अब इस कैटिगरी में आने वाली जो भी कंपनी डिस्ट्रिक्ट बार कमिटी में बार लाइसेंस लेने के लिए आवेदन करेगी उसके लिए अब अथॉरिटी अपनी एनओसी दे देगी। इससे उनके दफ्तर में बार खुलने का रास्ता साफ हो जाएगा।बता दें कि बार खोलने के लिए एक्साइज विभाग में जो भी आवेदन किए जाते हैं उसका लाइसेंस देने के लिए डिस्ट्रिक्ट बार कमिटी फैसला लेती है। यह कमिटी डीएम की देखरेख में काम करती है। नोएडा अथॉरिटी, पुलिस विभाग और एक्साइज विभाग तीनों की एनओसी मिलने के बाद भी किसी बार को खोले जाने के लिए डिस्ट्रिक्ट बार कमिटी लाइसेंस जारी करने का फैसला करती है। अभी तक आईटी और आईटीईएस कैटिगरी की कंपनियों में जो रेस्तरां बने हुए हैं उन पर यदि कोई कंपनी बार खोलना चाहती थी तो नोएडा अथॉरिटी की ओर से इस पर एनओसी देने का प्रावधान नहीं था। अब अथॉरिटी एनओसी दे सकेगी।
साफ हुआ रास्ता
आईटी और आईटीईएस कैटिगरी की कंपनियों में 24 घंटे काम होता है। विदेशों में स्थित इन कंपनी के दफ्तरों में रेस्तरां के साथ बार भी खुलें हुए हैं। नोएडा अथॉरिटी ने इस कैटिगरी में जिन प्लॉटों का आवंटन किया हुआ है उसमें बार खोलने की अनुमति अभी तक नहीं थी। इसके चलते अथॉरिटी इसके लिए एनओसी भी नहीं दे पाती थी। बिना एनओसी के डिस्ट्रिक्ट बार कमिटी इन कंपनियों में बार खोलने के लिए लाइसेंस नहीं जारी कर पाती थी। बोर्ड बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद दफ्तार में बार का रास्ता साफ हो गया है।
लंबे समय से मांग कर रही थी कंपनियां
पिछले दिनों बोर्ड में जो मंजूरी दी गई है उसमें यह शर्त है कि केवल उन कंपनियों को ही अथॉरिटी एनओसी दे सकेगी जिनका दफ्तर पांच एकड़ से ज्यादा में बना होगा। हालांकि, नोएडा में इन कैटेगिरी की तमाम कंपनियों के दफ्तर से 5 एकड़ से ज्यादा में खुले हुए हैं। विदेशों में स्थित दफ्तरों में बार खोलने का प्रावधान होने के चलते यहां भी कपनियां ऐसी मांग कर रही थीं, लेकिन बात नहीं बन पा रही थी। जो नई कंपनियां अथॉरिटी में निवेश करने के लिए संपर्क कर रही थीं उनकी तरफ से यह मुद्दा कई बार उठाया गया है। अब इनकी मांग के आधार पर इस प्रावधान का रास्ता निकाल लिया गया है।