टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
बापू ने जब पूरे देश की यात्रा करने का मन बनाया तो उन्होंने साधन के तौर पर रेल को चुना था। इतिहास में कई ऐसे किस्से आते हैं जब पता चलता है कि महात्मा गांधी ट्रेन के तीसरे दर्जे में यात्रा किया करते थे। वह भारतीयों के करीब पहुंचना चाहते हैं उन्हें समझना चाहते थे। धीरे-धीरे भारतीय रेल देशवासियों के लिए लाइफलाइन बन गई। अमीरों के लिए तो स्पेशल प्लेन खड़े हैं लेकिन गरीब और मिडिल क्लास के लिए आज भी रेलवे परिवहन का सबसे सस्ता और सुरक्षित माध्यम है। भारत में रेलवे का इतिहास 170 साल पुराना है। छुक-छुक करती रेल ने भारत की गुलामी और आजादी की पहली सुबह देखी है। एक दिन में ढाई करोड़ लोगों को ढोने वाली रेलवे ने कोरोना महामारी का वो दौर भी देखा जब देशभर में उसके पहिए थम गए थे। अपने गांव, शहर से गुजरने वाली ट्रेनों से लोगों की यादें जुड़ी हैं। फिल्मों में ट्रेनों के दृश्य देख भारतीयों का मन ‘छैंया-छैंया’ करने लगता है। ऐसी ही अपनी रेल पर हम पत्थर मारते हैं? क्या बनते जा रहे हैं हम? क्या विरोध, गुस्सा या नाराजगी जताने के लिए हम सरकारी संपत्ति को बर्बाद करेंगे और हां, ये ‘सरकारी’ शब्द किसी दूसरे देश या किसी गैर के लिए नहीं होता है ये तो हमारे ही पैसों से खड़ी की गई संपत्ति और सुविधा होती है जिसे सरकारी कहा जाता है। वो पत्थरबाज शायद नहीं समझते।
ट्रेन यात्रा के दौरान बापू (फोटो wikimedia से साभार)
कुछ दिन पहले ही पश्चिम बंगाल के मालदा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंदे भारत ट्रेन को रवाना किया था। उस पर पथराव कर कुछ उपद्रवियों ने शीशे तोड़ दिए। घटना की जो तस्वीरें सामने आई हैं उसमें दिखता है कि सीट पर कांच के टुकड़े बिखरे पड़े हैं। यह ट्रेन हावड़ा से न्यू जलपाईगुड़ी को जोड़ती है। अपने इलाके के लिए सफर का शानदार अनुभव का तोहफा पाकर स्थानीय लोग काफी खुश थे लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों ने ऐसी हरकत की है जिससे हर आम और खास व्यक्ति गुस्सा है। चमचमाती आकर्षक रेल देख हमें नाज होता है लेकिन ये चंद लोग माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।
मां का अंतिम संस्कार कर कार्यक्रम में जुड़े थे पीएम मोदी
अगर आपको याद न हो तो बता दें कि जिस सुबह पीएम नरेंद्र मोदी की मां का निधन हुआ और वह गुजरात में अपनी मां का अंतिम संस्कार करने पहुंचे थे। उसी दिन सुबह उन्हें बंगाल जाना था। लेकिन वह गुजरात से ही लाइव जुड़कर कार्यक्रम में शामिल हुए और ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। वह अपनी मां का अंतिम संस्कार कर सीधे इस कार्यक्रम में शामिल हुए तो उनके चेहरे पर गम साफ झलक रहा था। हालांकि पीएम ने 30 दिसंबर 2022 के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की रौनक कम नहीं होने दी। उन्होंने गर्व से कहा कि जिस धरती से वंदे मातरम् का जयघोष हुआ, वहां वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गई है। उस कार्यक्रम में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मौजूद थीं। पीएम ने बताया कि सरकार भारतीय रेलवे को मॉडर्न बनाने के लिए रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भारी भरकम निवेश कर रही है। सरकार तो ये कर रही है और हम क्या कर रहे हैं? हममें से ही कुछ लोग उसी वंदे भारत पर पत्थर मार रहे हैं। यह शर्मनाक है। कानून के तहत सजा तो मिलेगी लेकिन इस तरह की हरकत हर देशवासी के खिलाफ है जो रेल से अपनापन जोड़ता है।
ये सिर्फ एक ट्रेन नहीं है
इस वंदे भारत ट्रेन का महत्व ऐसे समझिए कि यह पूर्वी भारत को मिली पहली वंदे भारत ट्रेन है। पहली वंदे भारत ट्रेन दिल्ली से वाराणसी के बीच 2019 में चली थी। दूसरी वंदे भारत दिल्ली से वैष्णो माता के दर्शन के लिए जाने वाले यात्रियों को कटरा पहुंचाती है। ऐसे ही अब तक कुल सात रूट पर वंदे भारत दौड़ रही है।
वंदे भारत ट्रेन पर पथराव की घटना सिर्फ एक ट्रेन से जुड़ा मामला नहीं है। ये समाज में फैलती नफरती सोच को भी दर्शाता है जो निजी स्वार्थ या गुस्से में आकर देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए खड़े हो जाते हैं। पहले भी कुछ शहरों में इस तरह की घटनाएं घटी हैं। कभी होली के समय जनरल बोगी में गोबर के घोल या रंग फेंकने की घटनाएं सुनने को मिलती हैं। कभी सीट को फाड़ने या सामान गायब होने की… हम भले न सवाल उठाएं पर हमारी आने वाली जनरेशन पूछेगी कि क्या ऐसे लोग भी होते हैं?