टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
कम समय में लंबी दूरी तय करने के लिए दुनियाभर में लाखों लोग रोज प्लेन से यात्रा करते हैं। सिर्फ भारत के आंकड़े से जान लीजिए कि कितनी तेजी से हवाई सफर कितना बढ़ रहा है। सरकार ने हाल में संसद में बताया कि भारत में एक दिन में सबसे 4.17 लाख यात्रियों ने सफर किया जो अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है। यह भारत का हाल है जहां ज्यादातर भारतीय ट्रेन से सफर करते हैं। यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद दुनिया में एक अलग तरह का तनाव है और ऐसे में रूस से आ रहे किसी प्लेन में बम होने की खबर मिले तो यात्रियों पर क्या बीतेगी, हम बाहर बैठकर अंदाजा भी नहीं लगा सकते। मॉस्को से गोवा आ रहे एक प्लेन में बम रखे जाने की धमकी मिली तो आनन-फानन में गुजरात के जामनगर में सोमवार की रात प्लेन की इमर्जेंसी लैंडिंग कराई गई।
गुजरात से दिल्ली तक एजेंसियां एक्टिव हो गईं। सभी 236 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों को प्लेन से सुरक्षित निकाला गया। पुलिस और बम निरोधक दस्ते ने प्लेन का कोना-कोना जांचना शुरू कर दिया। प्लेन सोमवार रात 9.49 बजे जामनगर एयरपोर्ट पर उतरा, तब से लेकर मंगलवार सुबह 10 बजे तक यात्री एक अलग तरह के खौफ में रहे। पहले ATS और बाद में दिल्ली से पहुंची NSG की टीम ने 11 घंटे की लगातार जांच के बाद पाया कि प्लेन में कोई बम नहीं है। कोई संदिग्ध चीज भी नहीं मिली। Goa ATC को ‘अजूर एयर’ की फ्लाइट जेडएफ 2401 में बम की धमकी मिली थी। इसके बाद प्लेन को जामनगर एयरपोर्ट की तरफ डायवर्ट किया गया। बम कहीं भी हो सकता था इसलिए एक-एक बैग को अच्छी तरह से खंगाला गया। आधी रात से सुबह हो गई और लाउंज में यात्री अपने बच्चों के साथ बैठे रहे।
आगे बढ़ने से पहले क्रोनोलॉजी समझ लीजिए। गोवा एयर ट्रैफिक कंट्रोल को किसी ने बम की धमकी दी कि मॉस्को-गोवा फ्लाइट में बम है। प्लेन को डायवर्ट किया गया लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड को भी संदेहजनक नहीं मिला। यात्रियों की भी गहराई से जांच की गई। पहले बम धमाकों में कई प्लेन हादसे हो चुके हैं, ऐसे में एजेंसियां कोई भी रिस्क नहीं ले सकती थी। पूरे 9 घंटे तक एयरपोर्ट एक किलेबंदी की गई थी। रूस और यूक्रेन के बीच आए दिन रॉकेट हमले में लोगों की जानें जा रही हैं। पिछले दिनों यूक्रेन के हमले में सैकड़ों रूसी सैनिकों के मारे जाने का दावा किया गया था। ऐसे में रूस से उड़े प्लेन में बम की खबर से रूस भी चौंकन्ना हो गया था। दिल्ली में रूसी दूतावास ने बताया कि उसे भारतीय अधिकारियों ने अलर्ट किया था।
जामनगर में जहां प्लेन की लैंडिंग कराई गई वह क्षेत्र भारतीय वायुसेना का बेस है। इस हिसाब से समझा जा सकता है कि भारत के मित्र देश से आ रहे प्लेन में बैठे मुसाफिरों की सुरक्षा के लिए भारत ने मिनटों में कैसा प्लान बना लिया था। जामनगर के जिलाधिकारी ने बताया कि एक-एक यात्री की डीटेल वेरिफाई की गई। सुरक्षा एजेंसियों के सामने बड़ा टास्क था। कुछ भी हो सकता था। कोई यात्री ही आत्मघाती हमलावर तो नहीं, कहीं प्लेन में किसी बैग में बम तो नहीं? वे पहल दहशत और टेंशन के थे। 9-10 घंटे तक सुरक्षा एजेंसियों के जवानों ने बिना रुके मिशन मोड में काम किया। बैग और हर यात्री की डीटेल चेक करने के बाद राहत की सांस ली गई। यह प्लेन मॉस्को से उड़ान भरने के बाद गोवा के डाबोलिम हवाई अड्डे पर उतरने वाला था।
अब सवाल उठता है कि ये कौन लोग हैं जो इस तरह की अफवाह फैलाते हैं। एक गलत सूचना के चक्कर में न सिर्फ प्लेन में सवार 250 लोगों की जान पर बन आई बल्कि सैकड़ों की संख्या में जवानों और अधिकारियों की धड़कनें बढ़ गईं। रूस से प्लेन का कनेक्शन होने के कारण भारतीय एजेंसियां और भी अलर्ट थीं। क्या इस तरह की बकवास और झूठी सूचना देने वालों को कड़ी सजा नहीं मिलनी चाहिए? जिसकी एक धमकी ने पूरे देश को सांसत में डाल दिया, उसे उम्रकैद की सजा जैसा सख्त प्रावधान होना चाहिए जिससे फिर कोई सिरफिरा इस तरह की हरकत न कर सके।
दिल्ली ही नहीं, देश के अलग-अलग एयरपोर्ट पर बम होने या धमकी भरे कॉल आते रहते हैं। इसके चक्कर में न सिर्फ एजेंसियों का समय खराब होता है बल्कि यात्रियों की मुश्किलें भी बढ़ जाती है। कुछ की कनेक्टिंग फ्लाइट्स छूट जाती है। अफरातफरी में यात्रियों की हालत खराब हो जाती है। वैसे टेक्नोलॉजी की मदद से अब एजेंसियां कम समय में यह पता कर लेती हैं कि फोन करने वाला कौन है और उसकी बात में कितनी सच्चाई है। लेकिन कुछ मामले ऐसे होते हैं जिसमें समय कम और टास्क चुनौतीपूर्ण होता है। ऐसे में वे रिस्क से बचने के लिए पीछे न जाकर आगे जांच में जुट जाती हैं।