टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
साल 2018 की बात है। कोलकता की ‘जेम्स लॉन्ग सरानी कॉलोनी’ में रहने वाले सुभब्रत मजूमदार की मां की मौत हो गई। इसके बाद मजूमदार ने मां के मृत शरीर को एक क्रायोनिक्स कंपनी के फ्रीजर में रखने का फैसला किया। दरअसल, मजूमदार को इस बात पर भरोसा है कि एडवांस मेडिकल तकनीक और क्रायोनिक्स साइंस के जरिए भविष्य में मरे हुए इंसानों को जिंदा करना संभव है।
सुभब्रत मजूमदार ऐसा करने वाले अकेले शख्स नहीं हैं बल्कि दुनियाभर में 600 से ज्यादा लोगों की डेड बॉडी को इसी तरह से फ्रीज करके रखा गया है।
इस वक्त दुनियाभर में करीब 600 लोगों की डेड बॉडी को फ्रीज करके रखा गया है। इनमें से 300 से ज्यादा डेड बॉडी तो सिर्फ दो देश अमेरिका और रूस में हैं। इन लोगों के पूरी तरह से मरने से पहले इनके दिमाग और शरीर को लैब में रखा गया था।
कानूनी तौर पर भले ही ये लोग मर चुके हैं, लेकिन क्रायोनिक्स तकनीक में भरोसा रखने वाले साइंटिस्टों का मानना है कि वो अभी सिर्फ बेहोश हुए हैं।
यही वजह है कि दुनिया में कई सारे लोग मरने से पहले अपने परिवार के सामने ये इच्छा जाहिर कर रहे हैं कि उनके शरीर को हमेशा के लिए खत्म करने की बजाय इस तकनीक के जरिए सुरक्षित रखा जाए।
इसी वजह से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, रूस, भारत समेत दुनिया के दर्जनों देशों में प्राइवेट कंपनियों ने लैब बनाई हैं, जो डेड बॉडी को सुरक्षित रखने का दावा करती हैं।
मुर्दे को जिंदा करने वाली क्रायोनिक्स तकनीक क्या है?
अमेरिकी साइंटिस्ट डॉक्टर रिचर्ड गिब्सन के मुताबिक, ‘जब इंसान को कोई तकनीक या साइंस जिंदा रखने में असफल हो जाती है। फिर मौत के बाद उसकी डेड बॉडी को फ्रीजर में इस उम्मीद में रखा जाता है कि भविष्य में विज्ञान और मेडिकल साइंस के डेवलप होने के बाद उस इंसान को फिर से जिंदा करना संभव हो सकेगा।’
मतलब साफ है कि इन लोगों को लगता है कि आने वाले समय में मेडिकल साइंस मौत के बाद इंसानों को जिंदा कर सकेगी।
उन्होंने कहा है कि ‘डिमॉलिशन मैन’ या ‘वनीला स्काई’ जैसी हॉलीवुड फिल्मों में भी इसी तकनीक के जरिए मरे हुए इंसानों को फिर से जिंदा करने की संभावनाओं को दिखाया गया था।