Today Gujarati News (Desk)
नई दिल्ली: दुनिया के अलग-अलग देशों के बीच युद्ध, शस्त्रीकरण, शस्त्रों पर नियंत्रण और निरस्त्रीकरण में शोध के लिए काम करने वाली स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनियाभर में हथियारों का आयात करने वाला अव्वल मुल्क बना हुआ है, और इसकी एक बड़ी वजह पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन के साथ जारी तनाव है. इसी रिपोर्ट के मुताबिक, एक और बात चिंताजनक है. भारत के ‘नॉट-सो-फ्रेंडली’ पड़ोसियों का झुकाव भी चीन की तरफ बढ़ रहा है. पिछले पांच सालों, यानी 2018 से 2022 के दौरान पाकिस्तान ने 2013-17 की तुलना में हथियारों का 14 फीसदी ज़्यादा आयात किया, और अपनी ज़रूरत का तीन-चौथाई से भी ज़्यादा हिस्सा पाकिस्तान ने चीन से ही मंगवाया है.
दुनियाभर के सबसे बड़े हथियार आयातक देशों की सूची में पाकिस्तान आठवें पायदान पर है, और हथियारों के कुल वैश्विक आयात का 3.7 फीसदी हिस्सा पाकिस्तान ने खरीदा है. पाकिस्तान के कुल हथियार आयात का 77 फीसदी हिस्सा चीन से आता है, जबकि 5.1 फीसदी स्वीडन से और 3.6 फीसदी हिस्सा रूस से पूरा होता है. गौरतलब है कि चीन हथियार निर्यात के मामले में दुनिया में चौथे पायदान पर है, और समूचे विश्व में होने वाले हथियार निर्यात का 5.2 फीसदी हिस्सा वही बेचता है, लेकिन अहम तथ्य यह है कि उसके कुल निर्यात का 54 फीसदी हिस्सा पाकिस्तान को ही जाता है.
बांग्लादेश हथियार आयात के मामले में दुनिया में 25वें पायदान पर है, और कुल आयात का 0.9 फीसदी हिस्सा वही खरीदता है. गौरतलब है कि बांग्लादेश भी अपने कुल आयात का लगभग तीन-चौथाई, यानी 74 फीसदी हिस्सा चीन से ही खरीदता है. चीन के कुल हथियार निर्यात का 12 फीसदी हिस्सा बांग्लादेश ही खरीदता है.
अब बात म्यांमार की. हथियार आयात के मामले में म्यांमार दुनिया में 30वें स्थान पर है, और कुल आयात का 0.8 फीसदी वही खरीदता है. इसका सबसे बड़ा हिस्सा, यानी 42 फीसदी हिस्सा वह रूस से खरीदता है, लेकिन चीन से भी उसके पास 29 फीसदी हथियार आते हैं. म्यांमार का तीसरा सबसे बड़ा हथियार सप्लायर भारत खुद है, जो उसके कुल आयात का 14 फीसदी हिस्सा सप्लाई करता है.