भारत के चीन के साथ संबंध कैसे होने चाहिए. ये सोमवार से शुरु हो रहे भारतीय सेना के टॉप मिलिट्री कमांर्डस के सम्मलेन का विषय है. पांच दिनों तक राजधानी दिल्ली में आयोजित होने वाले आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे सहित सेना की सभी सातों कमान के कमांडर्स हिस्सा लेंगे जो (7-11 नबम्बर) तक चलेगी.
भारतीय सेना ने आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि इस बार आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में सेना के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के अलावा सब्जेक्ट एक्सपर्ट्स को भी संबोधन के लिए बुलाया है. इस बार दो खास विषयों पर विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है. पहला विषय है समकालीन भारत-चीन संबंध और दूसरा है टेक्नोलॉजिकल चैलेंज फॉर नेशनल सिक्योरिटी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लेंगे भाग
सम्मलेन को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीडीएस जनरल अनिल चौहान सहित नौसेना और वायुसेना के प्रमुख भी संबोधित करेंगे ताकि सेना के तीनों अंगों में ट्राई-सर्विस सिनेर्जी बढ़ाई जा सके. बता दें कि पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच अधिकतर विवादित इलाकों पर डिसइंगेजमेंट तो हो चुका है, लेकिन डेमचोक और डीबीओ जैसे पुराने मुद्दों को लेकर तकरार जारी है. इसके अलावा चीन की पीएलए सेना डि-एस्कलेशन और डि-इनडक्शन के लिए भी अभी तैयार नहीं है.
एलएसी पर चीन के 50-60 हजार सैनिक
एलएसी के करीब ही चीन के 50-60 हजार सैनिक, टैंक, तोप और मिसाइल अभी भी तैनात हैं. एलएसी से सटे इलाकों में चीन अभी भी अपने एयर-बेस मजबूत करने और वहां लड़ाकू विमानों की संख्या लगातार बढ़ा रहा है. हाल ही में आई रिपोर्ट्स की मानें तो पूर्वी लद्दाख से सटे तिब्बत और अक्साई-चिन इलाकों में चीन अपना इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में जुटा है. चीन सीमावर्ती सड़कों को चौड़ा कर रहा है तो अपने सैनिकों के लिए स्थाई बैरक भी तैयार कर रहा है.