शेयर बाजार को रेग्युलेट करने वाली संस्था SEBI ने निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए म्यूचुअल फंड से जुड़े नियम में बदलाव किया है। सेबी ने म्यूचुअल फंड यूनिट में भी खरीद-फरोख्त के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन की प्रक्रिया को लागू करने का फैसला किया। सेबी के मुताबिक इस संबंध में नया ड्राफ्ट अगले साल एक अप्रैल से लागू किया जाएगा।
वर्तमान में परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) को ऑनलाइन लेनदेन के लिए टू- फैक्टर ऑथेंटिकेशन और ऑफलाइन लेनदेन के लिए हस्ताक्षर लेकर निकासी लेनदेन का सत्यापन करना होता है। सेबी के नए फैसले के बाद म्यूचुअल फंड यूनिट की खरीद एवं उन्हें भुनाने के समय सत्यापन के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (ऑनलाइन लेनदेन) और हस्ताक्षर पद्धति (ऑफलाइन लेनदेन) का इस्तेमाल किया जाएगा।
गैर-डीमैट लेनदेन के टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन के दौरान यूनिट-धारक के मोबाइल फोन या ईमेल पर वन-टाइम पासवर्ड भेजा जाएगा। वहीं डीमैट लेनदेन की स्थिति में डिपॉजिटरी की तरफ से द्वि-स्तरीय सत्यापन के लिए तय प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। सेबी ने स्पष्ट किया है कि प्रणालीगत लेनदेन की स्थिति में इस तरह के सत्यापन की जरूरत सिर्फ रजिस्ट्रेशन के समय ही होगी।
आईपीओ पर क्या बदला: सेबी ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के लिए खुलासा जरूरतों को कड़ा करने सहित विभिन्न नियमनों में बदलावों को मंजूरी दे दी है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश के संबंध में खुली पेशकशों के लिए मूल्य तय करने वाले नियमों में ढील देने का भी निर्णय किया।
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