Today Gujarati News (Desk)
होली भारत के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इसे रंगों का त्योहार तो कहते ही हैं साथ ही यह दिलों को जोड़ने वाला त्योहार भी है। इन दिनों जगह-जगह होली की रौनक दिखने लगी है। भारत में यह त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। अपनों के साथ रंगों से खेलने की खुशी और त्योहारी के स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ हर किसी को उत्साह से भर देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ ऐसी जगह भी हैं, जहां होली का त्योहार नहीं मनाया जाता। अगर आप उन लोगों में से हैं, जिन्हें होली खेलने से डर लगता है, तो आप बेशक इन जगहों पर जा सकते हैं।
रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में ऐसे दो गांव हैं, जहां 150 सालों से होली नहीं मनाई जाती। क्विली और कुरझान गांव के लोगों का मानना है कि यहां की देवी त्रिपुर सुंदरी को शोरगुल पसंद नहीं है, इसलिए गांव के लोग शोरगुल वाले त्योहारों को मानने से परहेज करते हैं। बता दें कि रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी का मिलन होता है, इसलिए इसे संगम स्थल भी कहा जाता है। रुद्रप्रयाग की यात्रा के दौरान पर्यटक कोटेश्वर महादेव के दर्शन जरूर करते हैं। यहां पर देवी काली को समर्पित धारी देवी मंदिर भी बहुत फेमस है।
रामसन गांव, गुजरात –
गुजरात तो अपने आप में रंगीला राज्य है, लेकिन होली के मौके पर यहां का एक गांव सुनसान रहता है। इसका नाम है रामसन गांव। गुजरात के बनासकांठा जिले में स्थित इस गांव में पिछले 200 साल से होली नहीं मनाई गई। बताते हैं कि इस गांव को कुछ संतों का श्राप मिला है। इसलिए चाहते हुए भी लोग यहां होली का जश्न नहीं मना पाते। इस गांव का नाम पहले रामेश्वर था और इसका नाम भगवान राम के नाम पर रखा गया है।
तमिलनाडु –
देखा जाए, तो दक्षिण भाीत में होली बहुत कम लोग मनाते हैं। उत्तर भारत में यह काफी धूमधाम से मनाई जाती है। हालांकि, जब होली पूर्णिमा के दिन आती है, तो यहां के लोग मासी मागम के तौर पर इस दिन का स्वागत करते हैं। तमिल धर्म के अनुसार, यह एक पवित्र दिन है। इस दिन प्राणी और पूर्वज नदियों, तालाब और पानी के टैंकों में डुबकी लगाने के लिए धरती पर उतरते हैं।
दुर्गापुर, झारखंड –
झारखंड बोकारो के दुर्गापुर गांव में लोगों ने पिछले 100 साल से होली नहीं मनाई है। बताया जाता है कि यहां के राजा के बेटे की मौत इस दिन हुई थी और मरने से पहले राजा ने अपनी प्रजा को होली न मनाने का आदेश दिया था। तब से यहां होली सेलिब्रेट नहीं की जाती। अगर यहां कोई होली खेलना भी चाहता है तो उसे दूसरे गांव में जाना पड़ता है।