टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
फेफड़ों का कैंसर काफी तेजी से बढ़ रहा है। धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर की मुख्य कारणों में एक है, लेकिन अब ऐसे लोगों को भी फेफड़ों का कैंसर हो रहा है, जो धूम्रपान नहीं करते हैं। ऐसे लोगों में कैंसर का प्रमुख कारण प्रदूषण माना जा रहा है। मेदांता हॉस्पिटल के डॉ. अरविंद कुमार व उनकी टीम ने मार्च 2012 से नवंबर 2022 के बीच 304 मरीजों पर की स्टडी में पाया कि 154 मरीज धूम्रपान करते थे, जबकि 150 धूम्रपान नहीं करते थे। ओपीडी में आने वाले मरीजों में धूम्रपान न करने वाले व कम उम्र वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है। मेदांता ने मंगलवार को #BeatLungCancer अभियान लॉन्च किया। अभियान लॉन्च किए जाने के दौरान कैंसर को मात देकर स्वस्थ हुए लोगों ने अपने अनुभवों को साझा किया औैर डांस कर खुशी का इजहार किया।
20 फीसदी मरीज 50 साल से कम
इस अध्ययन में फेफड़ों के कैंसर से ग्रस्त हुए 304 मरीजों को शामिल किया गया। क्लीनिक में पहुंचने पर उम्र, लिंग, धूम्रपान की स्थिति, निदान के वक्त बीमारी के चरण और फेफड़ों के कैंसर का प्रकार दर्ज सहित अन्य पैरामीटर्स के साथ उसका विश्लेषण किया गया। 20 फीसदी मरीजों की उम्र 50 साल से कम पाई गई। रुझान में सामने आया कि भारतीयों में फेफड़ों का कैंसर पश्चिमी देशों के मुकाबले लगभग एक दशक पहले विकसित हो गया। लगभग 10 प्रतिशत मरीज 40 साल से कम उम्र के थे, जिनमें 2.6 प्रतिशत की उम्र 20 वर्ष के आसपास थी।
50 प्रतिशत मरीज नहीं करते थे धूम्रपान
डॉ़ अरविंद ने बताया कि करीब 50 प्रतिशत मरीज धूम्रपान नहीं करते थे। इनमें 70 प्रतिशत मरीज 50 साल से कम उम्र के थे, और 30 साल से कम उम्र के 100 प्रतिशत मरीज धूम्रपान नहीं करते थे। महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़े हैं। पहले महिलाओं की संख्या बेहद कम थी। करीब 80 फीसदी मरीजों को बीमारी का तीसरी व चौथी चरण में पता लगा, जहां पर केयर बहुत मुश्किल है। जबकि 20 फीसदी मरीजों को पता पहली व दूसरी स्टेज में लगा।
मृत्यु दर बढ़ने की आशंका
फेफड़ों के कैंसर की संख्या में अनुमानित वृद्धि व इलाज सुविधाओं की अपर्याप्त संख्या से परिणाम संतोषजनक न आने और मृत्युदर बढ़ने की आशंका है। डॉक्टर का कहना है कि इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए विशेषज्ञ थोरेसिक सर्जिकल सेंटर जरूरी हैं, जहां की-होल सर्जरी (वैट्स एवं रोबोटिक सर्जरी) सहित लेटेस्ट टेक्नॉलॉजी उपलब्ध हो। देश में ऐसे बहुत कम सेंटर हैं, जो ऐसा इलाज कर सकते हैं। बीमारी का पता लगाने के लिए लो डोज सिटी स्क्रीनिंग जरूरी है, जिसकी व्यवस्था जगह जगह किया जाना जरूरी है।
आने वाले वर्षों में बढ़ेंगे मामले
अध्ययन में सामने आया कि आगामी 10 वर्षों में धूम्रपान नहीं करने वाली महिलाओं, कम उम्र के लोगों में फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़ने की आशंका है। ज्यादातर मामलों में निदान देरी से होने की आशंका है, जब पर्याप्त इलाज संभव नहीं हो पाता है और फेफड़ों के कैंसर के कारण मृत्युदर बढ़ जाती है। निकट भविष्य में फेफड़ों का कैंसर एक महामारी के रूप में दिखाई दे रहा है।