यूक्रेन पर रूस के हमले को 7 महीने पूरे हो चुके हैं और इस जंग में पहली बार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को अपने देश में लोगों का गुस्सा झेलना पड़ रहा है। इसके पीछे उनका 3 लाख रिजर्व सैनिकों को युद्ध में भेजने का फैसला है।
पुतिन ऐसा करके यूक्रेन में कमजोर पड़ रही सेना को नई ताकत देना चाह रहे थे, लेकिन इसके विरोध में रूस के कई इलाकों में प्रदर्शन शुरू हो गए। रिक्रूटमेंट सेंटर्स पर हमले हुए हैं। एक रूसी शख्स ने साइबेरिया में एक सेंटर पर गोलियां चलाईं। इससे सेंटर का कमांडर घायल हो गया।
इसके कुछ घंटे बाद एक शख्स ने दूसरे भर्ती सेंटर के गेट पर कार से टक्कर मार दी। फिर उसे आग लगा दी। कई जगह प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुई हैं। लोग देश छोड़ने और गिरफ्तार होने के लिए तैयार हैं, लेकिन सेना में नहीं जाना चाहते।
सबसे ज्यादा विरोध मुस्लिम बहुल दागेस्तान प्रांत में
पुतिन के फैसले का सबसे ज्यादा विरोध मुस्लिम बहुल दागेस्तान प्रांत में हो रहा है। इस पहाड़ी इलाके में 1990 से तनाव रहा है। यहां के मुस्लिम सूफी इस्लाम को मानते हैं। उन्होंने चेचन्या के मुसलमानों की तरह हथियारबंद विद्रोह तो नहीं किया, लेकिन सरकार विरोधी भावना उनके अंदर मौजूद है। सेना में भर्ती के खिलाफ प्रदर्शनों ने इसे और भड़का दिया है। उनका कहना है कि सेना भर्ती के फैसले के बाद उन्हें टारगेट किया जा रहा है।
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