Today Gujarati News (Desk)
नई दिल्ली : होली, बच्चों से लेकर बड़ों के लिए मस्ती लेकर आती है मगर केमिकल के रंग इस मस्ती में खलल डाल सकते हैं। डॉक्टर्स की सलाह है कि होली में त्वचा, बाल को केमिकल वाले रंग से बचें और शरीर को भी रंग और ठंड दोनों से बचाएं। विशेषज्ञों की सलाह है कि खासतौर पर बच्चे, बुजुर्ग और मरीजों को इन रंगों से बचने की जरूरत है। इसका साथ ही होली के हुड़दंग में अक्सर लोग बेजुबान जानवरों को भी तंग करते हैं। इस दौरान कुत्ते, बिल्लियों पर रंग, केमिकल डालना आम है। इन रंगों की वजह से उन्हें कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं।
रंग खेलने से पहले त्वचा पर तेल लगा लें
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में डर्मेटोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर प्रोफेसर. डॉ कृष्ण देब बर्मन बताते हैं, होली के दौरान केमिकल वाले रंगों से त्वचा को खतरा रहता है, तो कुछ एहतियात बरतनी जरूरी है। होली खेलने से पहले ही त्वचा पर तेल लगा लें ताकि त्वचा और रंग के बीच तेल की परत बचाव करे। सूखे रंगों का इस्तेमाल करें क्योंकि त्चवा गीले रंगों को सोख लेती है, जिससे डैमेज का खतरा रहता है। होली खेलने के बाद सामान्य साबुन से चेहरा और शरीर धोएं और कोई भी क्रीम लगा लें। डॉक्टर बर्मन कहते हैं, रंगों की वजह से रिएक्शन होता है तो कुछ लक्षण सामने आते हैं। तुरंत त्वचा लाल हो सकती है, त्वचा की ऊपरी परत में लिक्विड भरा फफोले (वेसिकल्स) पड़ सकते हैं।
मेडिकेटेड साबुन ना करें इस्तेमाल
एलर्जी की स्थिति में 6-8 घंटे में त्वचा लाल हो सकती है, जलन हो सकती है, यह तब तक रह सकता जब तक केमिकल त्वचा से ना जाए। इन स्थिति में सबसे पहले स्किन को सामान्य साबुन से धोएं, मेडिकेटेड साबुन से नुकसान हो सकता है। फिर डॉक्टर के पास जाएं, खुद दवा ना लें क्योंकि उलटा असर हो सकता है। अगर जलन ज्यादा है तो राहत के लिए एंटी एलर्जी दवा एविल, सिट्रीजिन दी जा सकती है। पूर्व सीएमओ, एनडीएमसी डॉ. अनिल बंसल ने बताया कि लोगों को रंग खरीदते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि वह रंग कब का है और उसमें केमिकल तो नहीं। केमिकल की वजह से त्वचा में जलन, खुजली समेत कई समस्याएं हो सकती हैं। लोगों को हर्बल रंग का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर आंख में रंग पड़ जाए तो रगड़ें नहीं बल्कि साफ पानी से धोएं।
गंभीर फेफड़े के इन्फेक्शन, सांस के मरीज रहे सतर्क
प्राइमस हॉस्पिटल के पल्मोनरी विभाग के हेड प्रो. डॉ. एस.के छाबरा कहते हैं, होली में गंभीर फेफड़े के इन्फेक्शन वाले मरीज और सांस के मरीजों को सतर्क होने की जरूरत है क्योंकि सांस के जरिए रंग अंदर जा सकता है। अगर रंग में केमिकल है तो गंभीर असर हो सकता है, सांस लेने में परेशानी हो सकती हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर आर.सी पाराशर कहते हैं, होली में पानी के इस्तेमाल से ठंड लग सकती है इसलिए ख्याल रखने की जरूरत है। केमिकल वाले रंगों से एलर्जी हो सकती है, त्वचा और बालों को नुकसान भी हो सकता है इसलिए पहले त्वचा में नारियल का तेल लगाएं। फूलों से बने रंगों का इस्तेमाल करने की कोशिश करें।
जानवरों को ना करें परेशान
होली के हुड़दंग में अक्सर लोग जानवरों को तंग होने की खबरें आती हैं। लोग कुत्ते, बिल्लियों पर रंग, केमिकल डाल देते हैं। इन रंगों की वजह से उन्हें कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं। यह कई बार घातक भी साबित होती है। जानवरों पर काम कर रही विभिन्न एनजीओ होली पर लोगों को जानवरों से दूर रहने के साथ उनकी मदद के लिए भी आगे आ रही हैं। हाउस ऑफ स्ट्रे एनिमल के संजय मोहापात्रा ने बताया कि होली पर लोग सबसे अधिक परेशान कुत्तों को करते हैं। होली के रंग से उनके बाल झड़ जाते हैं। रंग उनकी आंखों में चला जाता है। उन्हें खुजली की शिकायत हो जाती है। कई बार नाक और आंख में रंग जाने से वह आक्रामक हो जाते हैं।
कुत्तों के हमलों की शिकायतें बढ़ जाती हैं
द्वारका के वेटरनरी डॉक्टर आर के शुक्ला का कहना है कि लोग गुलाल, पिचकारियों व केमिकल रंग जानवरों पर डाल देते हैं। इससे वह कई दिनों तक परेशान रहते हैं। कई दिनों तक रंग रहने की वजह से उनकी त्वचा हमेशा के लिए कई बार खराब होती है। परेशानी की वजह से वह आक्रामक हो जाते हैं और लोगों को काटने भी लगते हैं। होली के आसपास कुत्तों के हमलों की शिकायतें 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं। इसकी एक वजह जानवरों की परेशानियां भी होती हैं। इसलिए संवेदनशीलता दिखाते हुए जानवरों को रंगों से दूर रखें। डिस्पेंसरियों को होली के दिन 24 घंटे खुला रखा जाएगा। लोग यहां कॉल कर जानवरों के बारे में बता सकते हैं या उन्हें खुद भी ला सकते हैं। इमरजेंसी की सूरत में 9818048398 पर संपर्क कर सकते हैं। डिस्पेंसरियों को होली के दिन 24 घंटे खुला रखा जाएगा। लोग यहां कॉल कर जानवरों के बारे में बता सकते हैं या उन्हें खुद भी ला सकते हैं। इमरजेंसी की सूरत में 9818048398 पर संपर्क कर सकते हैं।