टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
भारी तबाही के बाद अब दुनिया एक भयानक महामारी के असर से बाहर आ रही है। लेकिन कुछ विशेषज्ञों को डर सता रहा है कि रूसी वैज्ञानिक एक और महामारी का जोखिम उठा रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि वे उस वायरस को दोबारा जिंदा कर रहे हैं जिसने धरती से मैमथ का सफाया किया था। खबरों की मानें तो साइबेरियाई शहर नोवोसिबिर्स्क में एक पुरानी जैव हथियार बनाने वाली लैब शोधकर्ता उन संक्रमणों को दोबारा जगाना चाहते हैं जो पिछले 4,00,000 साल से निष्क्रिय हैं।द सन की खबर के अनुसार वायरोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी के वेक्टर स्टेट रिसर्च सेंटर में ‘जोखिम भरी’ रिसर्च का उद्देश्य यह समझना है कि वायरस कैसे विकसित होते हैं। रूसी टीम हिम युग (Ice Age) के जानवरों जैसे मैमथ और बालों वाले गैंडों के अवशेषों की जांच कर रही है जो भूमि पर घूमते थे। इस रिसर्च ने विशेषज्ञों की चिंता को बढ़ा दिया है क्योंकि निष्क्रिय वायरस के साथ मरे हुए जानवरों का अध्ययन करना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।-55 डिग्री सेल्सियस में दबे कंकाल
यह संभव है कि प्राचीन वायरस जीवित जानवरों में फैल सकता है। याकुटिया क्षेत्र में शून्य से नीचे तापमान में जानवरों की लाशें लगभग पूरी तरह संरक्षित हैं जहां तापमान -55 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। यह वही जगह है जहां हाल ही में फ्रांसीसी वैज्ञानिकों ने एक ‘जोंबी वायरस’ को पुनर्जीवित किया था जो 50,000 साल से जमी हुई झील के नीच दबा हुआ था। रूसी शोधकर्ता प्राचीन वायरसों की पहचान करने की भी उम्मीद कर रहे हैं, जिन्हें पोलियोवायरस के रूप में जाना जाता है।वैज्ञानिकों लैब में ‘विनाशकारी भूलों’ को लेकर वेक्टर के शोध के बारे में चिंता जताई है। दुनियाभर के वैज्ञानिकों को किसी भी तरह की चूक का डर सता रहा है क्योंकि नई रिसर्च एक और भयानक महामारी को ट्रिगर कर सकती है। एक ने चेतावनी दी है कि रूस हिम युग के विलुप्त हो चुके जानवरों को लेकर पूर्व-ऐतिहासिक वायरस के साथ जो खिलवाड़ कर रहा है वह इंसानों को भी संक्रमित कर सकता है।