टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
आम जिंदगी में हमें अगर किसी भी सामान की जरूरत होती है तो हम झटपट पड़ोस की किराने की दुकान से सामान खरीद लाते हैं. आपको जानकर अजीब लगेगा, लेकिन यह बात बिल्कुल सच है कि जेल में भी कैदियों के लिए एक दुकान होती है. इस दुकान से वो कुछ भी खरीद सकते हैं. यहां से सामान खरीदने के लिए अलग तरह का प्रोसीजर है. यहां के नोट बाहर की दुनिया में चलने वाले नोटों जैसे नही होते हैं. आइए जानते हैं इस दुकान से कैदी क्या-क्या सामान खरीद सकते हैं और सामान खरीदने के लिए किस तरह के पैसे चलते हैं.
ऐसे होते हैं जेल के नोट
जेल में भारतीय मुद्रा नहीं चलती है. जेल में पैसे रखना एक तरह का जुर्म माना जाता है. हालांकि, कैदियों को जेल में भारतीय करेंसी की जगह जेल के पैसे रखने की सहूलियत मिली होती है, लेकिन उसकी भी एक लिमिट होती है. दरअसल, जेल में चलने वाले पैसे कूपन के रूप में होते हैं. आप सोच रहे होंगे कि आखिर इन कूपन का इस्तेमाल कैसे किया जाता होगा और कैदी जेल में आखिर क्या खरीददते हैं. जेल के ये कूपन पुराने जमाने के सिनेमा की टिकट की तरह होते हैं और ये 1,2,5, 10, 20 की वैल्यू के होते हैं.
कहां होते हैं इस्तेमाल?
बहुत कम लोगों को इस बात की खबर होगी कि जेल में एक सरकारी कैंटीन होती है. इस कैंटीन पर रोज के इस्तेमाल के सामान मिलते हैं. यहां से कैदी साबुन, टूथपेस्ट, इनरवियर्स जैसे कुछ अपनी जरूरत के सामान आदि खरीद सकते हैं. ऐसे में, इन समानों की खरीदारी करने के लिए कूपन का इस्तेमाल किया जाता है. लखनऊ जेल और तिहाड़ में रह चुका एक शख्स बताता हैं कि ये कूपन एक तरह से जेल के पैसे होते हैं. इनसे वहां की कैंटीन से समाना खरीदा जा सकता है.
कहां से मिलते हैं कूपन?
जेल में काटकर आए कुछ शख्स बताते हैं कि इन कूपन को हासिल करने के दो तरीके होते हैं. पहला ये कि कैदी के घर वाले जेल में पैसे जमा करवा कर उसे कूपन उपलब्ध करवाएं. उदाहरण के लिए मान लीजिए कैदी के घर वालों ने जेल वालों को 500 रुपये दिए तो कैदी को उतने ही मूल्य के कूपन मिल जाएंगे. फिर वह कैंटीन से सामान खरीद सकता. इसके अलावा कैदी जब जेल में काम करते हैं जेल की ओर काम के बदले उनको मेहनताना दिया जाता है. उनके इस मेहनताना को भी कूपन के रूप में दिया जाता है. अगर कोई इन कूपन का इस्तेमाल नहीं करता है तो कैदियों के हिस्से में ये कूपन जमा होते रहते हैं.
जमा बाद में करवा सकते हैं जमा
जब कैदी जेल से बाहर निकलते हैं तो वे कूपन जमा करवाने के बाद इसके बदले पैसे ले सकते हैं. इस आधार कर कहा जा सकता है कि यह एक प्रकार से जेल की करेंसी होती है, जो सिर्फ जेल की चारदीवारी के अंदर ही इस्तेमाल की जा सकती है.