टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
Motor Insurance Tips: भारत में हर साल लाखों की संख्या में एक्सीडेंट होते हैं. ऐसे में लोग इस तरह की दुर्घटना से कवर प्राप्त करने के लिए मोटर इंश्योरेंस का सहारा लेते हैं.
Motor Insurance Claim: देश में किसी तरह की रोड सेफ्टी से जुड़े नियमों को बनाने के लिए मोटर व्हीकल एक्ट 1988 (Motor Vehicles Act, 1988) बनाया गया है. वहीं किसी भी रोड एक्सीडेंट में मोटर एक्सीडेंट क्लेम के लिए एक ट्रिब्यूनल की स्थापना की गई है. इसका नाम है MACT.
इस ट्रिब्यूनल के जरिए किसी एक्सीडेंट के कारण की मृत्यु, चोट या संपत्ती नुकसान पर मोटर इंश्योरेंस क्लेम के नियमों MACT तय करता है. इसमें राज्य सरकार पॉलिसी होल्डर को कितना मुआवजा देगी यह भी ट्रिब्यूनल तय करता है.
मोटर व्हीकल एक्ट में हाल ही में कुछ नियमों में बदलाव किए गए है. इन नियमों के बदलाव के बाद किसी के एक्सीडेंट में मृत्यु हो जाने की स्थिति में इंश्योरेंस क्लेम करने की समय सीमा तय की गई है.
नियमों के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति की एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई है या उसकी संपत्ती या शारीरिक रूप से कुछ नुकसान हुआ है तो ऐसी स्थिति में आप एक्सीडेंट के 6 महीने के भीतर क्लेम कर सकते हैं.
अगर कोई व्यक्ति 6 महीने के बाद किसी एक्सीडेंट का क्लेम करता है तो उसे इंश्योरेंस का क्लेम नहीं मिलता है.
इंश्योरेंस क्लेम करते वक्त अगर कोई व्यक्ति गलत जानकारी देता या धोखाधड़ी देता पकड़ा जाता है तो ऐसी स्थिति में उसके क्लेम को कैंसिल कर दिया जाता है और उसके ऊपर कार्रवाई की जाती है.