मध्य प्रदेश के रायसेन से तीन हिंदू बच्चों को मुस्लिम पहचान दिए जाने का मामला सामने आया है। खबर है कि ये बच्चे कोरोनावायरस महामारी के दौरान माता-पिता से बिछड़ गए थे। मामले को लेकर राष्ट्रीय बाल आयोग भी सक्रिय हो गया है। इधर, अधिकारियों ने शिशु गृह का रिकॉर्ड जब्त कर लिया है। साथ ही पुलिस भी संचालक के खिलाफ मामला दर्ज कर सकती है। विस्तार से समझते हैं।
मामला मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के नजदीकी जिला रायसेन का है। यहां गौहरगंज स्थित सरकारी अनुदान प्राप्त एक शिशु गृह में तीन बच्चे रह रहे थे। इनमें एक लड़का और दो लड़कियां हैं। इन बच्चों की उम्र 4 से 8 वर्ष के बीच है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शिशु गृह के संचालक हसीन परवेज ने बच्चों के नाम बदलकर मुस्लिम कर दिए और उनके नए आधार कार्ड भी बनवा दिए। इतना ही नहीं आधार कार्ड में बच्चों के माता-पिता की जगह परवेज का ही नाम दर्ज है।खबर है कि साल 2020 में ये बच्चे भोपाल में ही भटकते पाए गए थे। उस दौरान भोपाल कल्याण समिति ने उन्हें रायसेन बाल कल्याण समिति को सौंपा। बाद में माता-पिता की खोज होने तक उन्हें गौहरगंज के गोदी शिशु गृह में रखा गया था। इसका संचालन नवजीवन सामाजिक संस्था के जिम्मे है।
कैसे हुआ खुलासा?
NCPCR अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो मौखिक शिकायत के आधार पर शिशु गृह का निरीक्षण करने पहुंचे थे। उस दौरान उन्होंने पाया कि बच्चों की पहचान में बदलाव किया गया है। बच्चों ने भी उन्हें बताया कि पहले उनके नाम अलग थे, लेकिन यहां उनकी पहचान में बदलाव किया गया है। कानूनगो ने मामले की जांच की बात कही है। उन्होंने बताया कि रिकॉर्ड जब्त कर जांच के आदेश दिए गए हैं।
बच्चों की दर्दनाक कहानी
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 में कोरोनावायरस महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में ये बच्चे माता-पिता से बिछड़ गए थे। फिलहाल, बच्चे के पिता की जानकारी लग सकी है। वह दमोह में रहता है। वहीं, मां के बारे में पता लगाया जा रहा है। शिशु गृह के संचालक बताते हैं कि बच्चे को छोड़ने आए शख्स ने उनके मुस्लिम होने की जानकारी दी थी। जबकि, रिकॉर्ड में बच्चों के नाम अलग हैं।