अमेरिका के वित्त विभाग ने इटली, मेक्सिको, थाईलैंड, वियतनाम के साथ भारत को प्रमुख व्यापारिक भागीदारों की मुद्रा निगरानी सूची (Currency Monitoring list) से हटा दिया है. भारत पिछले दो साल से इस लिस्ट में था. इस सिस्टम के तहत प्रमुख व्यापार भागीदारों की करेंसी को लेकर गतिविधियों और वृहत आर्थिक नीतियों पर करीबी नजर रखी जाती है.
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन की भारत यात्रा के दौरान उठा कदम
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने अपनी भारत यात्रा के दौरान शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक की. इसी दिन अमेरिका के वित्त विभाग ने यह कदम उठाया है. वित्त विभाग ने संसद को अपनी छमाही रिपोर्ट में कहा कि चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान सात देश हैं जो मौजूदा निगरानी सूची में हैं.
भारत के लिए क्यों है अच्छी खबर
पिछले दो साल से भारत अमेरिका की करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट में था. अमेरिका अपने प्रमुख भागीदारों की करेंसी पर निगरानी के लिए यह लिस्ट तैयार करता है. इस व्यवस्था के तहत प्रमुख व्यापार भागीदारों की मुद्रा को लेकर गतिविधियों और वृहत आर्थिक नीतियों पर करीबी नजर रखी जाती है. उन देशों को निगरानी सूची में रखा जाता है, जिनके फॉरेन एक्सचेंज रेट पर उसे शक होता है. इस तरह भारत के इस लिस्ट से बाहर आने को अमेरिका के देश पर बढ़ते भरोसे को दिखाता है जिसके बारे में जेनेट येलेन ने कहा भी है.
चीन फिलहाल करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट में बरकरार
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन देशों को सूची से हटाया गया है उन्होंने लगातार दो रिपोर्ट में तीन में से सिर्फ एक मानदंड पूरा किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अपने विदेशी विनिमय हस्तक्षेप को प्रकाशित करने में विफल रहने और अपनी विनिमय दर तंत्र में पारदर्शिता की कमी के चलते वित्त विभाग की नजदीकी निगरानी में है. लिस्ट में रहने वाले अन्य देश चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान हैं.