मध्य प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में हिंदी भाषा के माध्यम से पढ़ाई करने के लिए कुल 200 सीटें हैं, लेकिन अब तक सिर्फ 20 बच्चों ने एडमिशन लिया है. राज्य सरकार ने छात्रों की सहुलियत के लिए हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की शुरुआत की. इसके बाद एमबीबीएस की पढ़ाई भी हिंदी में शुरू की, लेकिन राज्य के छात्रों को हिंदी में पढ़ाई करने को लेकर कोई रुचि नहीं है.
कॉलेजों में हिंदी भाषा में पढ़ाई करने के लिए सीटें रिजर्व भी रखी गई थीं, जिसमें से 90 फीसदी सीटों पर स्टूडेंट्स ने एडमिशन ही नहीं लिया है. नतीजतन राज्य सरकार का यह प्रोजेक्ट हाशिए पर आ गया है. इंजीनियरिंग कॉलेजों में हिंदी में पढ़ाई का हश्र यह है कि राज्य के महज तीन कॉलेजों में ही बीटेक और कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई हिन्दी में शुरू हो पाई है.
राज्य सरकार ने 200 सीटें रिजर्व रखी
हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने के लिए राज्य सरकार ने कुल 200 सीटें रिजर्व रखी थी, लेकिन छात्रों ने हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने से दूरी बना ली है और नतीजा ये रहा की महज 20 स्टूडेंट्स ने ही हिन्दी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के ऑप्शन को चुना, जिसकी वजह से राज्य के कॉलेजों में 90 फीसदी सीटें खाली रह गईं.
इन ब्रांचों में हिंदी में पढ़ाई
सरकार के तरफ से जिन 11 कॉलेजों का चयन किया गया है, उनमें उज्जैन इंजीनियरिंग कॉलेज में बीटेक सिविल इंजीनियरिंग और मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में हो रही है. इसी तरह से शासकीय जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में दोनों विषयों की पढ़ाई हो रही है. हिंदी में इंजीनियरिंग करने के लिए जिन 20 छात्रों ने हिंदी भाषा को चुना है, उनमें से 19 छात्रों ने कम्प्यूटर साइंस व एक स्टूडेंट ने बायोमेडिकल इंजीनियरिंग सब्जेक्ट का चुनाव किया है.
छात्रों के मुताबिक, हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई बिल्कुल भी समझ नहीं आ रही है. अंग्रेजी के सामान्य और सरल शब्दों को हिन्दी में बहुत कठिन तरीके से पेश किया गया है. इंजीनियरिंग करने के लिए हिंदी में सब्जेक्ट चुन लिया है, लेकिन अब परिणामों को लेकर मन में डर बना हुआ है. भविष्य की भी चिंता सता रही है कि हिंदी में पढ़ाई के बाद जॉब मिलेगी या नहीं.
स्टूडेंट और टीचर दोनों को परेशानी
हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने में सिर्फ स्टूडेंट को ही नहीं बल्कि टीचर को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. टीचरों का मानना है कि तकनीकी शब्दों को हिंदी में बहुत उलझाया गया है. इंजीनियरिंग की किताबों में तकनीकी शब्दों का शास्त्रीय हिन्दी में अनुवाद किया गया है. उन्होंने कहा, “हिंदी में पढ़ाई के लिए टीचरों को हिंदी तकनीकी शब्दों को सीखना होगा, तब कहीं जाकर स्टूडेंट्स को पढ़ाई करने में आसानी होगी.”