इस समय भारत में इलेक्ट्रिक कारों के बाजार का लगातार विस्तार हो रहा है. इसका मुख्य कारण लोगों का पेट्रोल डीजल से चलने वाली कारों का विकल्प होना है. साथ ही पारंपरिक ईंधन वाली कारों के एक और विकल्प के तौर पर हाइड्रोजन से चलने वाली कारों को देखा जा रहा है. दोनों ही प्रकार की कारों के अपने अलग अलग फायदे हैं, लेकिन अभी तक एक हाइड्रोजन कार एक इलेक्ट्रिक कार से ज्यादा फायदेमंद लग रही है. क्योंकि एक हाइड्रोजन कार में फ्यूल भरने बस कुछ मिनटों का समय लगता है, जो कि 200 किलोमीटर से ज्यादा तक कि माइलेज देने में सक्षम है. तो चलिए विस्तार से जानते हैं इन कारों के बारे में.
क्या सुरक्षित है हाइड्रोजन कार?
हाइड्रोजन पर्यावरण के लिए काफी सुरक्षित माना जाता है. यह एक साफ और सुरक्षित तत्व है और यह बहुत ही आसानी से उपलब्ध भी है. यह पारंपरिक ईंधन के मुकाबले बहुत सुरक्षित और आसान है और इन्हें से आसानी से प्राप्त किया जा सकता है.
क्या हाइड्रोजन कारें ले पाएगी इलेक्ट्रिक कार का स्थान?
सिनिक्स के अनुसार हाईड्रोजन कार का माइलेज नुकसान के संकेत देते हैं. जबकि एक इलेक्ट्रिक कार के बैटरी को सीधे बिजली से चार्ज किया जाता है, इसे काफी हद तक सही माना जाता है. भविष्य में इलेक्ट्रिक कारों का स्थान हाइड्रोजन कारों के लेने की कोई आशंका नहीं है.
कौन सी कार है बेहतर?
यदि इन दोनों ईंधन वाली कारों की तुलना करें तो यह मालूम होता है कि फिलहाल भारत में इलेक्ट्रिक कारों संख्या अधिक है, जबकि हाईड्रोजन ईंधन वाली कारों की संख्या न के सामान है. देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग के लिए ढांचागत विकास किया जा रहा है. कई स्थानों पर इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन भी तैयार किया जा चुका है. साथ ही सरकार हाइड्रोजन चलित कारों की भी तैयारी कर रही है, जिसे मीडिया रिपोर्ट्स में फ्यूचर फ्यूल का कहा जा रहा है.
कितनी सफल होंगी ये कारें?
इलेक्ट्रिक वाहन जो कि पूरी तरह बैटरी से एनर्जी प्राप्त करते हैं, इनके लिए हमेशा ही विद्युत की आवश्यकता रहेगी, जिसे बनाने में भी काफी मात्रा में प्रदूषण होता है. जबकि हाईड्रोजन ईंधन पूरी तरह से सुरक्षित है और यह जीरो कार्बन उत्सर्जन करता है. यानि हाइड्रोजन फ्यूल एनवायरमेंट को कोई हानि नहीं पहुंचाता है.