दिवाली 2022 बेहद शुभ संयोग में घटित होने जा रहा है। इस साल की दिवाली सोमवार 24 अक्टूबर को मनाई जा रही है। इस अवसर पर कई ऐसे संयोग बने हैं जो दुलर्भ माने जाते हैं। दिवाली के दिन शाम के समय प्रदोष काल में करीब 5 बजकर 28 मिनट से अमावस्या तिथि लग रही है। ऐसे में सोमवार औऱ अमावस्या तिथि होने के कारण इस दिन सोमवती अमावस्या का संयोग बन गया है। शास्त्रों में विधान है कि सोमवार के दिन अमावस्या तिथि अगर थोड़ी देर के लिए लग जाए तो उस दिन को सोमवती अमावस्या माना जाएगा। दिवाली के दिन सोमवती अमावस्या का लग जाना एक दुर्लभ संयोग है जो बेहद शुभ फलदायी है।मंगलकारी और सौभाग्यदायक रहेगा यह व्रत
सोमवती अमावस्या सौभाग्य प्रदान करने वाला व्रत है। इस व्रत में सोमावती और भगवान शिवजी की पूजा की जाती है। लेकिन दिवाली के संग सोमवती का संयोग बन जाने से इस दिवाली भगवान शिव के साथ देवी लक्ष्मी, गणेश और कुबेर की पूजा करना बहुत ही मंगलकारी और सौभाग्यदायक होगा। सोमवती अमावस्या के दिन पितरों का ध्यान करके पीपल की पूजा करनी चाहिए और संभव हो तो पूरे दिन खाने में नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।ऐसे करें दिवाली पूजन
दिवाली पर सोमवती अमावस्या के संयोग का लाभ उठाने के लिए रात में दिवाली पूजन करते समय भगवान शिवजी की पूजा भी देवी लक्ष्मी के साथ जरूर करें। वैसे आपको बता दें कि शास्त्रों में नियम है कि दिवाली की रात देवी लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु, काली के साथ शिवजी, सरस्वती देवी के साथ ब्रह्माजी की पूजा करनी चाहिए। गणेशजी और कुबेरजी की पूजा भी दिवाली की रात में लक्ष्मी के साथ करनी चाहिए। इससे स्थिर लक्ष्मी और धन समृद्धि का घर में आगमन होता है।सोमवती अमावस्या की कथा
सोमवती अमावस्या की कथा में सोना धोबन की कहानी का जिक्र मिलता है। जिसने सोमवती अमावस्या के प्रभाव से एक साहूकार की बेटी के सुहाग को बचा लिया था। इस क्रम में उसके पति की मृत्यु हो जाती है लेकिन वह अपने व्रत के प्रभाव से पति को भी जीवित कर देती है। सोमवती अमावस्या के व्रत के प्रभाव को जानकर सोना धोबन के गांव वालों ने इस व्रत को करना शुरू कर दिया फिर इस व्रत के प्रभाव को जानकर अन्य नगरों मे भी सौभाग्यवती महिलाएं सोमावती व्रत करने लगीं।