स्टाफिंग फर्म रैंडस्टैंड इंडिया की एक नई स्टडी के अनुसार, 35-40% कर्मचारी बॉस से छुट्टी मांगते वक्त टेंशन में आ जाते हैं।
लगभग 25% कर्मचारी FOMO की वजह से छुट्टी लेने से बचते हैं। आपके साथ भी तो कहीं ऐसा नहीं होता? कुछ लोगों का जवाब हां होगा लेकिन वो यह भी सोच रहे होंगे कि ये FOMO क्या बला है। दरअसल, FOMO का फुल फॉर्म होता है फियर ऑफ मिसिंग आउट यानी नौकरी से जुड़ी असुरक्षा और दबाव। कर्मचारियों को इस बात का डर लगा रहता है कि कहीं छुट्टी ले ली, तो उन्हें नौकरी से ही न निकाल दिया जाए।
ऑनलाइन ट्रैवल पोर्टल एक्सपीडिया ने 2018 में वेकेशन डेप्रिवेशन रिपोर्ट जारी की थी, जिसके मुताबिक, 75 फीसदी भारतीयों को महसूस होता है कि वो छुट्टियों से वंचित हैं, ये आंकड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा था।
एक्सपर्ट्स की मानें तो कम छुट्टी और ब्रेक की वजह से हमारी मेंटल हेल्थ बिगड़ सकती है। छुट्टी लेने के लिए हमें अच्छे आत्मविश्वास यानी सेल्फ कॉन्फिडेंस की जरूरत होती है। भारत धीरे-धीरे Guilt Vacation Syndrome का शिकार हो रहा है।
हम Guilt Vacation Syndrome के शिकार न बनें, इसके लिए क्या करें?
वर्किंग डेज पर कड़ी मेहनत करें और छुट्टी लेने पर अपने आप को याद दिलाएं कि आपको एक ब्रेक की जरूरत है, मेंटली और फिजिकली आराम के लिए।
याद रखें छुट्टी लेने का मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि आप आलसी हो गए हैं, बहानेबाज हैं या प्रोडक्टिव माइंड नहीं हैं।
मैनेजर और टीम मेंबर्स के साथ अच्छा कम्युनिकेशन रखें ताकि छुट्टी वाले दिन वो आपका और आप उनका काम संभाल सकें।
बहुत से लोग किसी भी काम के लिए ‘नहीं’ कहने में खुद को दोषी मानते हैं, ऐसा न करें। ‘नहीं’ शब्द कहना सीख लें।