टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
केंद्र ने उच्च शिक्षा में सुधार के तहत विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसरों को देश में ही खोलने और विदेशी विश्वविद्यालयों की डिग्री प्रदान करने की अनुमति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके तहत अब देश में ही येल, ऑक्सफोर्ड और स्टैनफोर्ड जैसी विश्वविद्यालयों को अपने कैंपस खोलने और डिग्री प्रदान करने की अनुमति दी जा सकती है। केंद्र के इस पहल के बाद विदेश पढ़ाई करने जाने में असमर्थ छात्रों को देश में ही रहकर विदेश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में पढ़ने का मौका मिल सकेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने नई शिक्षा नीति 2020 के तहत एक ड्राफ्ट पेश कर जनता से सुझाव और प्रतिक्रिया मांगा है।यूजीसी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, नई शिक्षा नीति के तहत दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों को भारत में उनके कैंपस खोलने और इसको संचालित करने की सुविधा प्रदान की जाएगी। यूजीसी ने कहा कि इस मामले में प्रकिया को आसान बनाने के लिए एक ढांचा भी तैयार किया जाएगा और इस प्रकार के विश्वविद्यालयों को भारत के अन्य स्वायत्त संस्थानों के समान ही नियामक, शासन और सामग्री मानदंडों के लिए विशेष छूट दी जाएगी। हालांकि यूजीसी ने अपने विज्ञप्ति में बताया कि इन नियमों के तहत पेश किए जाने वाले कार्यक्रमों को ऑनलाइन मोड में अनुमति नहीं दी जाएगी।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कहा कि भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रवेश की अनुमति देने वाला ड्राफ्ट देश में उच्च शिक्षा को एक अंतरराष्ट्रीय आयाम प्रदान करेगा, जिससे भारतीय छात्र सस्ती कीमत पर विदेशी योग्या प्राप्त करने में सक्षम हो पाएंगे। इसके साथ ही यह ड्राफ्ट भारत को एक आकर्षक वैश्विक अध्ययन गंतव्य बनाएगा। यूजीसी द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (भारत में विदेशी उच्च शिक्षा संस्थानों के परिसरों की स्थापना और संचालन) विनियम- 2023 नामक दिशानिर्देशों का उद्देश्य भारत में विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रवेश की सुविधा प्रदान करना है।
यूजीसी के मुताबिक, किसी भी विदेशी उच्च शिक्षा संस्थान को यूजीसी की मंजूरी के बिना देश में परिसर खोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यूजीसी ने कहा है कि जो भी विश्वविद्यालय भारत में अपने कैंपस खोलेंगे उनको विश्व रैंकिंग के शीर्ष 500 में शामिल होना चाहिए।