टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
सरकारी या प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों को एक कंपनी में लंबी अवधि में काम करने पर ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है. मगर क्या आपको पता है कि आपकी एलिजिबिलिटी (Eligibility) होने पर भी आपको कुछ खास कारणों से ग्रेच्युटी का लाभ नहीं मिल सकता है. गौरतलब है कि जिन कंपनियों में 10 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं उन्हें ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के तहत अपने सभी इंप्लाइज को ग्रेच्युटी देनी पड़ती है. मगर क्या आपको बता दें कि ग्रेच्युटी की एलिजिबिलिटी होने के बावजूद कुछ खास केस में एंप्लॉयर आपको ग्रेच्युटी (Gratuity Rules) देने से मना कर सकता है.
अगर किसी कंपनी में कर्मचारी के कारण बड़ा नुकसान होता है तो ऐसे में नियोक्ता अपने नुकसान के बराबर भरपाई कर्मचारी के ग्रेच्युटी से कर सकता है. ध्यान रखें यह वसूली केवल जानबूझकर की गई चूक पर ही की जा सकती है. इसके अलावा कंपनी से किसी तरह के झूठ बोलने , गलत व्यवहार करने पर या गलत जानकारी देने पर अगर आपको कंपनी से निकाला जाता है तो आप ग्रेच्युटी के हकदार नहीं होंगे.
कंपनी के अधिकार के बारे में जानें
आपको बता दें कि कर्मचारियों के हक की रक्षा करने के लिए ग्रेच्युटी एक्ट 1972 बनाया गया है. ऐसे में कंपनी केवल मौखिक रूप से बोलकर ही कर्मचारियों के ग्रेच्युटी पर रोक नहीं लगा सकती है. इसके लिए उन्हें एक वैलिड कारण देना होगा. इसके बाद कंपनी के नुकसान के बराबर राशि को कंपनी ग्रेच्युटी की राशि में से कम कर सकती है.
पहले जारी करना पड़ता है नोटिस
ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के सेक्शन 4(6)(b)(ii) के अनुसार अगर कोई कंपनी किसी कर्मचारी को ग्रेच्युटी के पैसे को रोकती है तो उसे सबसे पहले कर्मचारी को नोटिस जारी करके इसके बारे में जानकारी देनी होगी. इसके साथ ही यह कारण भी बताना होगा कि किस कारण से उसकी ग्रेच्युटी को रोका जा रहा है. इसके बाद ही कंपनी इन पैसों को रोक सकते हैं.
क्या है ग्रैच्युटी?
हर कर्मचारी की सैलरी का एक हिस्सा ग्रैच्युटी और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के लिए कटता है. ग्रैच्युटी के लिए एक छोटा हिस्सा कर्मचारी तो बड़ा हिस्सा नियोक्ता यानी एम्प्लॉयर को देना पड़ता है. जब कर्मचारी लगातार किसी कंपनी में 5 साल तक काम करता है तो वह इस ग्रेच्युटी लेने के लिए हकदार हो जाता है. जब कर्मचारी रिटायर होता है या कंपनी छोड़ता है तो इस ग्रेच्युटी के पैसे को कंपनी के कर्मचारी को देना पड़ता है.