टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के मेकर विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri targets Bharat Jodo Yatra) ने एक तस्वीर शेयर की है। उनके ऐसा करते ही इस पर जबर्दस्त प्रतिक्रियाएं आई हैं। इसने बवाल मचा दिया है। फोटो शेयर करते हुए फिल्म मेकर ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और उनकी भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने तंज करते हुए इसे नकली, दिखावटी और सतही धर्मनिरपेक्षता का प्रस्तुतिकरण बताया है। उनके मुताबिक, इसने सांप्रदायिक ताने-बाने को नष्ट कर दिया है। दिलचस्प यह है कि इस तस्वीर को देखने के बाद कई ट्विटर यूजर्स ने हिंदुओं की मौजूदगी और उनके प्रतिनिधित्व को लेकर सवाल उठाए हैं। सवाल यह है कि जब तस्वीर में सभी धर्मों को उनकी पारंपरिक वेशभूषा से पहचाना जा सकता है तो यही पैमाना हिंदुओं के मामले में क्यों लागू नहीं हुआ। लोगों ने पूछा है कि आखिर ट्रेडिशनल हिंदू कहां है? इसे लेकर कुछ लोगों ने राहुल की ओर इशारा किया है। लेकिन, तर्क इसलिए नहीं जमता है क्योंकि जब सभी अपनी ट्रेडिशनल ड्रेस में हैं तो फिर हिंदू का रिप्रेजेंटेशन पैंट-शर्ट में कैसे हो सकता है।
How fake, pretentious, superficial secularism destroyed the communal fabric of Bharat. In one innocent picture. pic.twitter.com/jin45dquTB
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) December 10, 2022
विवेक अग्निहोत्री ने भारत जोड़ो यात्रा की जो तस्वीर शेयर की है, उसे लोग तेजी से रिट्वीट कर रहे हैं। बड़ी संख्या में इस पर प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से विवेक अग्निहोत्री ने इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा- ‘कैसे नकली, दिखावटी, सतही धर्मनिरपेक्षता ने भारत के सांप्रदायिक ताने-बाने को नष्ट कर दिया। एक मासूम तस्वीर में।’
तस्वीर में राहुल के साथ चार लोग हैं। इनमें से तीन के धर्मों की वेशभूषा से पहचान हो सकती है। राहुल ने दाहिनी तरफ पगड़ी पहने सरदार जी दिखते हैं। इससे उनके सिख होने का पता चलता है। बाईं ओर मौलाना टोपी और लंबी दाढ़ी में मुस्लिम संप्रदाय के शख्स दिख रहे हैं। उनके आगे पादरी चल रहे हैं जो ईसाई संप्रदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस तस्वीर को देखकर लोगों ने पूछा है कि आखिर हिंदू का प्रतिनिधित्व कहां है। अगर सभी धर्मों और पंथों के लोगों को उनकी पारंपरिक वेशभूषा में दिखाया गया है तो फिर हिंदुओं के मामले में ऐसा क्यों नहीं किया गया है।