टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
बैंकों के सामने बीते कुछ महीनों में कई बार नगदी का संकट खड़ा हो चुका है. कर्ज की मांग बढ़ी है लेकिन उसके अनुपात में बैंकों में होने वाले डिपॉजिट में बहुत ज्यादा उछाल देखने को नहीं मिला है. ऐसे में बैंकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट को आकर्षक बनाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से 5 लाख रुपये तक के फिक्स्ड डिपॉजिट को टैक्स-फ्री किए जाने की मांग की है.
FD को आकर्षक बनाने की मांग
बैंकों की ओर से इंडियन बैंक एसोसिएशन ने वित्त मंत्रालय के सामने बजट को लेकर अपनी मांगों की फेहरिस्त सौंपी है. जिसमें आईबीए ने वित्त मंत्रालय से 5 लाख रुपये तक के फिक्स्ड डिपॉजिट को टैक्स-फ्री करने की मांग की है. जिससे बैंक एफडी को दूसरे सेविंग प्रोडक्ट्स के मुकाबले आकर्षक बनाने में मदद मिल सके. ELSS बीमा प्रोडक्ट्स पर टैक्स छूट
फिलहाल नेशनल सेविंग स्कीम्स यानि एसएससी, म्यूचुअल फंड की ELSS स्कीमें और बीमा कंपनियां टैक्स फ्री सेविंग प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराती है जिसमें निवेश पर निवेशकों को टैक्स छूट मिलता है. बैंकों ने इन सेविंग प्रोडक्ट्स के समान 5 लाख रुपये तक के फिक्स्ड डिपॉजिट को भी टैक्स-फ्री करने की मांग की है.
कर्ज के मुकाबले नहीं बढ़ा डिपॉजिट
कोरोना काल खत्म होने के जैसे जैसे अर्थव्यवस्था प्री-कोविड दौर में वापस जा रहा है बैंकों से कर्ज की मांग बढ़ती जा रही है. लेकिन उस अनुपात में बैंक डिपॉजिट नहीं बढ़ा है. नवंबर महीने में क्रेडिट-डिपॉजिट ग्रोथ में 9 फीसदी का अंतर रहा है. क्रेडिट ग्रोथ 17 फीसदी जबकि डिपॉजिट्स में केवल 8.2 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है.
FD पर ब्याज दरें बढ़ने के बाद भी बेरुखी
आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने के बाद बैंकों ने डिपॉजिट पर ब्याज दरें बढ़ाये हैं. इसके बावजूद बेहतर रिटर्न और टैक्स-फ्री सेविंग होने के चलते निवेशक म्यूचुअल फंड या इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स की ओर मुखातिब हो रहे हैं जिसने बैंकों की परेशानी बढ़ा दी है.