टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
कोविड के नए वेरिएंट BF.7 को लेकर भारत सहित पूरी दुनिया में चिंता है। भारत में भी बीते तीन दिनों में विदेश से आने वाले कुछ लोगों में ये वायरस मिला है। लोगों में इस वायरस को लेकर कई सवाल हैं। मसलन, क्या अभी तक लगाई गई वैक्सीन इस पर प्रभावी होंगी, क्या नई वैक्सीन लगवानी पड़ेगी, क्या ये डेल्टा वेरिएंट जितना घातक है, जिन लोगों को कोविड हो चुका है उनके लिए अधिक खतरा तो नहीं, ये सभी सवाल देश के जाने माने विशेषज्ञों कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन डॉक्टर एनके अरोड़ा, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर सहजानंद प्रसाद सिंह, एम्स गोरखपुर के डॉक्टर हीरालाल भल्ला, दिल्ली मेडिकल काउंसिल की साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन नरेंद्र सैनी, पद्मश्री डॉक्टर एम वली, लखनऊ की केजीएमयू के डॉक्टर सुमित रूंगटा और जेएनयू के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर रूपेश चतुर्वेदी से पूछे। विशेषज्ञों का मानना है कि लोगों को फिलहाल घबराने की नहीं, सतर्कता बरतने की जरूरत है। उन्होंने हिदायत दी कि कोविड से जुड़े प्रोटोकॉल का पालन जरूर करें। प्रोफेसर रूपेश चतुर्वेदी ने बताया कि BF.7 वेरिएंट बहुत घातक तो नहीं पर ये बहुत संक्रामक है। अगर इसका संक्रमण बहुत अधिक फैला तो वायरस म्यूटेट कर जाएगा। नया बनने वाला वायरस कितना घातक होगा, ये कोई नहीं जानता। आइए जानते हैं कोविड के नए वेरिएंट के बारे में विशेषज्ञ क्या कहते हैं-
क्या है BF.7 वेरिएंट?
डब्लूएचओ के मुताबिक ओमिक्रोन के कुल 540 म्यूटेशन हो चुके हैं। लेकिन इसमें से सिर्फ 5 की ही निगरानी की जा रही है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट का संक्रमण फैला हुआ है। लेकिन सबसे ज्यादा संक्रामक ओमिक्रोन के वंश वाले वेरिएंट माने जा रहे हैं। BA.5 का ही एक उपवंश BF.7 है। भारत में भी इसके कई मामलों की पुष्टि हो चुकी है। BF.7 वायरस ऊपरी श्वसन तंत्र को अधिक प्रभावित करता है।
चीन की तुलना में भारत में नए वेरिएंट का खतरा कम क्यों?
जेएनयू के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर रूपेश के मुताबिक भारत में वैक्सीनेशन चीन के मुकाबले बेहतर रहा। भारत में अधिक संख्या में लोगों में कोविड संक्रमण के चलते हर्ड इम्यूनिटी भी बनी। डॉक्टर नरेंद्र सैनी कहते हैं कि चीन की जीरो कोविड पॉलिसी और फिर अचानक लॉकडाउन खत्म करना उनके लिए मुसीबत बन गया। इसके मुकाबले भारत में संक्रमण अधिक फैला। यहां तीसरी लहर में ज्यादातर ओमिक्रॉन के मामले देखे गए और आबादी का एक बड़ा हिस्सा इस वायरस के खिलाफ इम्यूनाइज हो गया है।
BF.7 वेरिएंट कितना घातक है?
डॉक्टर एनके अरोड़ा कहते हैं कि BF.7 को लेकर लोगों में ज्यादा अफवाह फैल गई है। आज चीन में BF.7 से संक्रमित लोगों की संख्या मात्र 10 से 12 फीसदी है। इसके अलावा लगभग 35 फीसदी लोग BN श्रेणी के वायरस से संक्रमित हैं। इसके अलावा BQ श्रेणी के वायरस से भी लगभग 25 फीसदी लोग संक्रमित हैं। XBC श्रेणी के वायरस से लगभग 12 फीसदी लोग संक्रमित हैं। भारत में जो BF.7 श्रेणी के चार मामले पाए गए, उनमें ये वायरस इतना कमजोर था कि उनसे संक्रमण फैलने की संभावना कम है।
कोविड के कितने वेरिएंट?
अल्फा (B.1.1.7 और Q वंशावली वाले वायरस)
बीटा (B.1.351 और इनके वंश के वायरस)
गामा (P.1 और इसके वंश के वायरस)
डेल्टा (B.1.617.2 और AY वंश के वायरस)
एप्सिलॉन (B.1.427 और B.1.429)
एटा (B.1.525)
आयोटा (B.1.526)
कप्पा (B.1.617.1)
म्यू (B.1.621, B.1.621.1)
जीटा (P.2)
ऑमिक्रॉन(B.1.1.529, BA.1, BA.1.1, BA.2, BA.3, BA.4 और BA.5 साथ ही इसके वंशज)
BF.7 वेरिएंट को लेकर चिंता क्यों है?
BF.7 ओमिक्रॉन का सब वेरिएंट है। कोविड का ओमिक्रॉन वायरस सबसे अधिक संक्रामक माना गया है। इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति एक बार में 10 से 18 व्यक्तियों में संक्रमण फैला सकता है। इसलिए इस वायरस को खतरनाक माना जा रहा है।
क्या कोविड को लेकर कोई गाइडलाइन जारी की गई है?
IMA द्वारा जारी एडवाइजरी
मास्क लगाएं
साबुन से हाथ धोएं या Sanitizer का इस्तेमाल करें
फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करें
शादी, पार्टी, मेले जैसी पब्लिक गैदरिंग से बचें
संभव हो तो अंतरराष्ट्रीय यात्रा से परहेज करें
सर्दी, खांसी, जुकाम समेत Covid जैसे किसी लक्षण पर टेस्ट करवाएं
वैक्सीनेशन का ध्यान रखें
सरकारी गाइडलाइन का पालन करें
क्या इंटरनेशनल ट्रेवलर्स के लिए कोई गाइडलाइंस है?
नई गाइडलाइंस के मुताबिक सभी ट्रेवलर्स पूरी तरह वैक्सीनेटेड होने चाहिए। उन्हें कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। किसी यात्री में कोविड के लक्षण पाए जाने पर उसे स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल के तहत आइसोलेट किया जाएगा। फ्लाइट से उतरने के बाद भी उसे आइसोलेट किया जाएगा और ट्रीटमेंट दिया जाएगा। सभी पैसेंजर्स की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी। सरकार ने इंटरनेशल फ्लाइट्स के 2%पैसेंजर्स की रैंडम सैंपलिंग करने की बात कही है।
किन पैसेंजर्स की सैंपलिंग होगी?
ये कोई निश्चित नहीं है। इन पैसेंजर्स का सिलेक्शन एयरलाइंस करेंगी, जो अलग-अलग देशों के होंगे। सैंपल देने के बाद ही ये एयरपोर्ट से जा सकेंगे। यदि कोई सैंपल पॉजिटिव निकला तो उसे जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए लैब में भेजा जाएगा। ऐसे पैसेंजर्स का प्रोटोकॉल के हिसाब से इलाज किया जाएगा और उन्हें आइसोलेट किया जाएगा।
क्या इंटरनेशनल फ्लाइट से आ रहे बच्चों की भी सैंपलिंग होगी?
12 साल तक के बच्चों को रेंडम सैंपलिंग में शामिल नहीं किया जाएगा। हालांकि, यात्रा के दौरान या उसके बाद लक्षण मिलने पर उनका स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल के हिसाब से इलाज किया जाएगा।
Covid के नए वेरिएंट BF.7 के लक्षण क्या हैं?
श्वसन तंत्र में गंभीर संक्रमण
तेज बुखार, गले में खराश और नाक बहना
सीने में कफ की समस्या, खांसी आना
पेट की समस्या जैसे उल्टी आना और डायरिया
इम्यूनिटी का कमजोर हो जाना
यदि पहले से कोई समस्या है तो बीमारी और गंभीर हो जाना
कैसे पता चलेगा की कोविड के कौन से वेरिएंट से संक्रमण हुआ है?
ये पता करना बड़ी कठिन प्रक्रिया है। भारत सरकार भी ऐसे मरीज जिनमें कोरोना के लक्षण पाए जा रहे हैं उनकी जीनोम सीक्वेंसिंग करा रही है। उसके बाद ही वेरिएंट का पता चल रहा है।
नेजल वैक्सीन क्या है?
नेजल वैक्सीन (Nasal Vaccine) नाक से दी जाने वाली वैक्सीन है। इसमें आपको इंजेक्शन नहीं लगाया जाता है, बस वैक्सीन आपकी नाक में दो बूंद डाल दी जाती है। इस वैक्सीन को सरकार की एक्सपर्ट कमेटी ने मंजूरी दे दी है।
नेजल वैक्सीन कहां मिलेगी?
नेजल वैक्सीन को Co-Win पोर्टल में शामिल कर दिया जाएगा। यहां जा कर आप इस वैक्सीन की उपलब्धता की जानकारी ले सकेंगे। भारत बायोटेक की इस नेजल वैक्सीन का नाम iNCOVACC है। इस वैक्सीन को भारत बायोटेक और अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी ने मिलकर बनाया है। ये तीन फेज के ट्रायल में असरदार साबित हुई है।
नेजल वैक्सीन का क्या फायदा है?
सामान्य तौर पर कोरोना वायरस आपकी नाक के जरिए ही शरीर में प्रवेश करता है। नाक के जरिए वैक्सीन दिए जाने पर नाक में मौजूद सेल्स की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी। वहीं ये अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम में कोरोना के खिलाफ आपकी इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करेगी।
नेजल वैक्सीन कैसे काम करती है?
यह वैक्सीन आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। आपके ब्लड में और आपकी नाक में प्रोटीन बनाने में मदद करती है ताकि आप आसानी से वायरस से लड़ सकें। इसका असर आपकी बॉडी में लगभग दो हफ्ते बाद शुरू होता है।
नेजल वैक्सीन कौन लगवा सकता है ?
नेजल वैक्सीन सिर्फ बूस्टर डोज के तौर पर लगाई जाएगी। आपने कोवैक्सीन लगवाई हो या कोवीशील्ड, आप नेजल वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर लगवा सकेंगे।
प्रेगनेंट महिलाएं बूस्टर डोज लगा सकती हैं या नहीं?
प्रेगनेंट महिलाओं के लिए बूस्टर डोज लगाने में कोई दिक्कत नहीं है। दरअसल कोविड की वैक्सीन में मरा हुआ वायरस होता है। ऐसे में ये किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता है।
क्या लीवर या किडनी की किसी बीमारी में कोविड वैक्सीन लगवा सकते हैं ?
केजीएमसी के डॉक्टर सुमित रूंगटा के मुताबिक किडनी या लीवर की बीमारी में कोविड वैक्सीन लगवाने में कोई दिक्कत नहीं है।
BF.7 वायरस से बचने के लिए किस तरह के मास्क पहनने चाहिए?
सार्वजनिक जगहों पर जाने के पहले आपको मास्क पहनना ही चाहिए। डॉक्टर एनके अरोड़ा कहते हैं कि आप कपड़ों की दो लेयर से बना मास्क भी पहन सकते हैं। आप सर्जिकल मास्क भी लगाते हैं तो आप कोविड के संक्रमण से बच सकते हैं। आपको बहुत अधिक सर्तकता बरतनी हो तो आप एन-95 मास्क लगा सकते हैं। मास्क आपको सिर्फ BF.7 वायरस से ही इंफ्लूएंजा व अन्य संक्रमणों से भी बचाता है।
क्या दिल के मरीज कोविड वैक्सीन ले सकते हैं ?
पद्मश्री डॉक्टर एम वली कहते हैं कि अगर आपको दिल की कोई बीमारी है और आपकी शुगर कंट्रोल में है तो आप बूस्टर डोज ले सकते हैं। अगर शुगर कंट्रोल नहीं है तो शुगर कंट्रोल होने तक वैक्सीन न लें।