टुडे गुजराती न्यूज (ऑनलाइन डेस्क)
14 जून 1998 का दिन पूर्णिया के इतिहास का वह काला पन्ना है, जो सूबे की तत्कालीन सरकार को भी लाल घेरे में ला दिया था। 14 जून की दोपहर को ही पूर्णिया शहर से गुजरने वाली गंगा-दार्जिलिंग पथ पर पूर्णिया सदर के चार बार विधायक रहे अजीत सरकार को गोलियों से भून दिया गया था। उस समय अजीत सरकार की लोकप्रियता चरम पर थी। उनकी हत्या की खबर फैलते ही शहर जलने लगा था। सड़कों पर जन सैलाब उमड़ गया था और पुलिस सुरक्षात्मक मुद्रा में आ गई थी। सड़कों पर टायर दर टायर जल रहे थे। बाजार में पान तक की दुकान नहीं खुल रही थी। यह क्रम अगले दिन भी थमने का नाम नहीं ले रहा था। पुलिस पूरी तरह असहाय नजर आ रही थी।
इस आंदोलन की धमक पटना तक पहुंच चुकी थी और सरकार को तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा था। पूर्णिया में आक्रोशित लोग उनका शव उठने नहीं दे रहे थे और पुलिस कुछ नहीं कर पा रही थी। इधर पूर्णिया में लगातार बिगड़ते हालात की सूचना मिलने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) के पूर्णिया आगमन का कार्यक्रम तय हुआ। स्थिति को भांपते हुए लालू प्रसाद यादव खुद अपने हेलीकाप्टर से ही आईपीएस राजविंदर सिंह भट्टी (RS Bhatti) को लेकर यहां पहुंचे थे। स्व. अजीत सरकार के पार्थिक शरीर पर माल्यार्पण के बाद खुद लालू ने लोगों से शांति की अपील करते हुए यह जानकारी भी मंच से दी थी कि अब पूर्णिया के एसपी आरएस भट्ठी होंगे और ये ऐसे एसपी हैं जो बड़े से बड़े अपराधियों का भट्ठा बैठा देंगे। फिलहाल आरएस भट्ठी को बिहार का डीजीपी (Bihar New DGP) बनाये जाने से यहां के लोगों में भी एक नई उम्मीद जगी है।
पूर्णिया की कमान संभालते ही एसपी आरएस भट्ठी ने तत्काल अजीत सरकार हत्याकांड की जांच शुरु कर दी। यद्यपि उनकी जांच अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि सरकार के स्तर से इसकी जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंप दी गई। उस समय भी यह बात सूर्खियों में रहा था कि आरएस भट्ठी ने जिन लोगों को केंद्र में रखकर अपनी जांच को रफ्तार दी थी बाद में सीबीआइ की जांच भी उसी दिशा में बढ़ती गई। इधर भट्ठी के आगमन से ही अपराधियों में काेहराम मच गया था। अपराधी इलाका छोड़ने लगे थे।
धमदाहा में कई अपराधियों के मारे जाने पर चर्चा के केंद्र में रहे भट्ठी
जिस समय आरएस भट्ठी की पदस्थापना यहां हुई थी, उस दौरान धमदाहा अनुमंडल में अपराधियों की समांतर सरकार चलती थी। इसमें कुछ गिरोह का सफाया भी हुआ था। यद्यपि गैंगवार में इन अपराधियों के मारे जाने की बात सामने आई थी, लेकिन चर्चा के केंद्र में भट्ठी रहे थे। लोग इन अपराधियों के सफाये को गैंगवार का नतीजा मानने को तैयार नहीं थे।
निखरैल नरसंहार में भी दिखी थी भट्ठी की हनक
आरएस भट्ठी ने पूर्णिया में छह माह का कार्यकाल भी पूरा नहीं किया था कि डगरुआ थाना क्षेत्र के निखरैल में भू-विवाद को लेकर एक साथ सात लोगों की हत्या कर दी गई। यह घटना भी सूबे में सूर्खियों में रहा। मारे गये सभी लोग आदिवासी परिवार के थे। इस पर सियासत भी गर्म हो गई थी। इन तमाम स्थितियों को नजर अंदाज करते हुए आरएस भट्ठी पूरे मामले में निष्पक्ष कार्रवाई पर अडिग रहे और नरसंहार की चिंगारी भड़कने से पहले ही शांत हो गई।