Today Gujarati News (Desk)
भोपाल: मध्यप्रदेश में बेरोजगारी चरम पर है. 1-1 पद के लिये हजारों उम्मीदवार कतार में हैं, कई परीक्षाएं रद्द हो रही हैं. सरकार हर साल 1 लाख पद भरने का दावा करती है. एक बार फिर यही दुहराया जा रहा है. वहीं राज्य के रोजगार कार्यालयों को चलाने में तो करोड़ों खर्च हो रहे हैं लेकिन वहां से बेरोजगारों को सिर्फ निराशा मिल रही है. राज्य में 1 अप्रैल 2020 से ऐसे दफ्तरों को चलाने में 16.74 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. इन दफ्तरों में 37,80,679 शिक्षित और 1,12,470 अशिक्षित आवेदकों ने पंजीकरण करवाया है. सरकारी नौकरी सिर्फ 21 उम्मीदवारों को ही मिली है. यानी एक सरकारी नौकरी के लिये सरकार ने लगभग 80 लाख रु. खर्चे हैं. कांग्रेस के सवाल पर सदन में सरकार ने लिखित जवाब में यह जानकारी दी है.