गुजरात में विधानसभा चुनावों से पहले एक बार फिर पाटीदार राजनीति गरमा गई है। इसकी वजह आम आदमी पार्टी के गुजरात चीफ गोपाल इटालिया (Gopal Italia) हैं, उन्होंने खुद पर हुई एक्शन को पाटीदार समाज के अपमान से जोड़ दिया है। दिल्ली पुलिस के छोड़े जाने के बाद वे सीधे खोडलधाम पहुंचे और पाटीदार समुदाय की आस्था का प्रतीक खोडियार माता का आशीर्वाद लिया। तो वहीं बीजेपी का कहना है कि गोपाल इटालिया ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया वह पाटीदार समाज की नहीं हो सकती। समाज चुनावों में इसका जवाब देगा। पार्टी ने इसके रित्विज पटेल को मैदान में उतारा। लेकिन इस सब के बीच ही सरदार पटेल ग्रुप (SPG) के प्रमुख लाल जी पटेल ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर पाटीदार आंदोलन के बाद दर्ज केसों को वापस लेने समेत तमाम मांगें रख दी हैं। गोपाल इटालिया बोटाद जिले से आते हैं। दिल्ली की प्रेस वार्ता में उन्होंने बार बार ये कहा कि सरदार पटेल की संतान हैं। इसलिए निशाना बनाया गया, बीजेपी पाटीदारों से नफरत करती है। बीजेपी कतई नहीं चाहेगी कि ये धारणा लोगों में बने, क्योंकि बीजेपी पाटीदार समाज की गुस्से की आग में झुलस चुकी है। इसी वजह से 2017 में डबल इंजन की सरकार के बाद भी 99 पर सिमट गई थी।
गुजरात में प शब्द का मतलब पाटीदार, पानीदार और पावर। इसी को भांपते हुए ही बीजेपी ने 13 महीने पहले प्रदेश की कमान पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के विश्वस्त भूपेंद्र पटेल को सौंप दी थी। पार्टी ने नेतृत्व परिवर्तन इसलिए भी किया था, क्योंकि आनंदीबेन के हटने के बाद सात साल से विजय रुपाणी सीएम थे। पार्टी को लगा इससे समाज में अच्छा संदेश जाएगा। लेकिन आप ने नई मुश्किल खड़ी कर दी है। आप सौराष्ट्र में काफी फोकस कर रही है, पिछले बार बीजेपी का यहां स्कोर कम रहा था। अब देखना ये है कि बीजेपी पहले इस विवाद से कैसे निपटती है, क्योंकि राष्ट्रीय महिला आयोग और दिल्ली पुलिस ने भले ही इटालिया को छोड़ दिया है, लेकिन बीजेपी ने अब गोपाल इटालिया का तीसरा वीडियो रिलीज का दिया है। गुजरात में काफी पाटीदार नेता और सामाजिक अग्रणी हैं लेकिन अभी तक किसी ने इटालिया पर व्यक्तिगत वार नहीं किया है।
पाटीदारों की ताकत
गुजरात की 6.5 करोड़ से अधिक आबादी में इस समुदाय की आबादी करीब 1.5 करोड़ से ज्यादा है। 80 के दशक तक पाटीदार समुदाय कांग्रेस के साथ था।लेकिन माधवसिंह सोलंकी के खाम प्रयोग के बाद ये समुदाय बीजेपी में आ गया। तब से पाटीदार बीजेपी के समर्थक हैं। अब तक के मंत्रिमंडलों में पटेलों का वर्चस्व रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में पाटीदारों के 60 फीसदी वोट बीजेपी को मिले थे जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में मात्र 49.1 फीसदी मिले। 2019 के लोकसभा चुनाव में 63 फीसदी वोट मिले। राज्य की 182 सीटों में से करीब 70 सीटों पर पाटीदारों का प्रभाव है। ऐसे में सत्ता में काबिज बीजेपी कोई जोखिम नहीं लेना चाहेगी, ऐसे में जब उनके पास पाटीदार समुदाय का व्यक्ति ही मुख्यमंत्री है।