पंच केदारों में सबसे ऊंचाई वाले भू-भाग में विराजमान तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ धाम (Tungnath Dham) के कपाट बंद होने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. सोमवार को 11 बजकर 30 मिनट पर वेद ऋचाओं और विधि-विधान से भगवान तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिये जाएंगे. भगवान तुंगनाथ के कपाट बन्द होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना होगी. वहीं 9 नवम्बर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में विराजमान होगी और 10 नवम्बर से भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा मक्कूमठ में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शुरू होगी.
सोमवार को बंद होंगे तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट
इसी के साथ विभिन्न यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीष देते हुए और सुरम्य मखमली बुग्यालों में नृत्य करते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी. 8 नवम्बर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली बनियाकुण्ड, दुगलविट्टा, मक्कू बैण्ड होते हुए वनातोली पहुंचेगी. जहां पर ग्रामीणों द्वारा भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली को अर्घ्य अर्पित कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना की जाएगी और भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए भनकुण्ड पहुंचेगी.
शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे कपाट
इसके बाद 9 नवम्बर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में विराजमान होगी और 10 नवम्बर से भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा मक्कूमठ में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शुरू होगी. इसी के साथ सोमवार को 11 बजकर 30 मिनट पर वेद ऋचाओं और विधि-विधान से भगवान तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. साथ ही भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना होगी.